काल भैरव अष्टमी पर विशेष साधना।
काल भैरव जयंती कृष्ण पक्ष अष्टमी में होता है और 16 नवंबर सुबह 5:50 से अष्टमी शुरू होकर 17 नवंबर सुबह 7:57 तक रहेगा तिथि और सूर्योदय का सिद्धांत अनुसार भी 16 नवंबर पूरा दिन और रात काल भैरव जयंती पालन किया जा सकता है क्योंकि 17 नवंबर सूर्योदय के समय कृष्ण पक्ष का अष्टमी रहेगा इसीलिए सूर्यदेव के सिद्धांत अनुसार 17 नवंबर को भी काल भैरव जयंती का पालन किया जा सकता है साधना के लिए 16 नवंबर का रात्रि का चयन करना उचित रहेगा और पूजा के लिए 16 नवंबर या 17 नवंबर किसी एक दिन का चुनाव किया जा सकता है ।
काल भैरव एक ऐसे देवता है जिनका शक्ति मार्ग में एवं शिव मार्ग में विशेष स्थान है शक्ति साधना करने में पहला चरण व्यक्ति को काल भैरव की साधना करनी चाहिए या जिस भी शक्ति की वह साधना करना चाहता है और शक्ति के भैरव का साधना करें अगर वह शक्ति के भैरव के बारे में ज्ञात ना हो तो काल भैरव का मंत्र जाप करें और यह संकल्प ले कि आप उस शक्ति के भैरव का साधना कर रहे हैं तो भी शास्त्र में इस प्रकार साधना करना माननीय है।
अगर कोई व्यक्ति सिर्फ काल भैरव की साधना करना चाहता है तो उसे चाहिए कि वह काल भैरव के साथ प्रधान 8 भैरव की साधना भी करें इस प्रकार उसे पूर्ण काल भैरव साधना का फल प्राप्त होता है इसके बिना काल भैरव की साधना संपूर्ण नहीं मानी जाती।
काल भैरव एक ऐसे देवता है जो बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और कार्य को संपन्न करने में बहुत ही कम समय लगाते हैं इसलिए तंत्र में काम करने वाले ज्यादातर लोग काल भैरव की साधना करते हैं और बहुत ही जल्दी इनकी सिद्धि प्राप्त करके लोगों के काम करते हैं काल भैरव की सिद्धि से व्यक्ति का बुरा समय दूर होता है शनि राहु एवं केतु का अगर कोई बुरा प्रभाव चल रहा है जिसके कारण व्यक्ति बहुत कष्ट में अपना जीवन जी रहा है तो उसे उस कष्ट से मुक्ति मिलती है काल भैरव की साधना एवं प्रयोग से बहुत प्रकार के रोगों के से भी मुक्ति प्राप्त होती है काल भैरव सिद्धियां भी बहुत जल्दी देते हैं काल भैरव की साधना करने से व्यक्ति बहुत ही कम समय में काल ज्ञान एवं काल दर्शन की सिद्धि प्राप्त कर लेता है काल भैरव को अघोर संप्रदाय एवं कपाल संप्रदाय दोनों ही प्रधान रूप में पूजा एवं साधना करते हैं ।
काल भैरव की साधना आप लोग राजसिक और तामसिक दोनों तौर पर कर सकते हैं जो व्यक्ति राजनीतिक स्वरूप में उनकी साधना करना चाहता है वह उत्तर दिशा का चयन करें लाल आसन लाल वस्त्र का प्रयोग करें और रुद्राक्ष माला का या फिर लाल हकीक माला का प्रयोग करें जो व्यक्ति तामसिक स्वरूप में उनकी साधना करना चाहता है वह दक्षिण दिशा का चयन करें काला आसन काला वस्त्र का प्रयोग करें और रुद्राक्ष माला अगर तीन मुखी रुद्राक्ष माला हो तो बेहतर है या काला हकीक माला का प्रयोग करें ।
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अपनी जरूरत अनुसार संकल्प ले और 11 21 या 51 माला काल भैरव मूल मंत्र का जाप करें मैंने पिछले हर साधना में संकल्प कैसे लेना है और किस क्रम में करना है सब लिख कर दिया हूं तो अगर आप लोग नए हो तो हमारा पुराना पोस्ट कोई भी साधना का पढ़ सकते हैं उसमें जिस विधान से साधना करने को कहा गया है उसी विधान अनुसार यह साधना भी करें ।क्यों भगवान शिव की अर्धपरिक्रमा ही करनी चाहिए ?
काल भैरव का मंत्र है – ॐ भ्रं भैरवाय नमः
अगर आप राजसिक स्वरूप में इनकी साधना करते हैं तो सरसों का तेल और घी मिलाकर तीन दीपक लगाए और कोई भी खट्टा या मसालेदार पकवान बनाकर इन्हें भोग अर्पित करें कोई भी मीठी वस्तु जैसे दूसरे साधनों में कहा गया है बेसन का लड्डू प्रयोग ना करें ।
अगर आप तामसिक स्वरूप में इनकी साधना करते हैं तो सरसों का तेल का तीन दीपक लगाएं और कोई भी तला हुआ तीखा मसालेदार पकवान बनाकर इन्हें भोग अर्पित करें सबसे उत्तम होगा अगर आप बेसन और उड़द दाल को मिलाकर प्याज लहसुन हरी मिर्च डालकर पकौड़ा बनाकर अर्पित करें।
जो भी भोग आप इन्हें लगाते हैं वह आप स्वयं ग्रहण करें और किसी दूसरे को हो ना दे तंत्र में भोग को साधना का फल माना जाता है इसीलिए इसे बांटना नहीं चाहिए पूजा में भोग को देवता का आशीर्वाद माना जाता है इसीलिए यह कहा जाता है कि जितना आप बांट दोगे उतना ही अच्छा है।
इस मंत्र के अलावा आप लोग काल भैरव के सिर्फ बीज मंत्र का भी सर्वाधिक मंत्र जाप कर सकते हैं।
काल भैरव के दो बीज मंत्र सबसे प्रधान है और वह दोनों है:-
भं और भ्रं (यह उग्र बीज मंत्र है क्योंकि इसमें अग्नि बीज मंत्र रं का प्रयोग किया।
हम किसी भी साधना को सिर्फ ज्ञान उपार्जन के उद्देश्य से ही पोर्टल पर प्रस्तुत करते है। अपनी तरफ से हम अपनी व्यक्तिगत सोच को अलग पाते है। किसी भी प्रकार की साधना के लिए उपयुक्त गुरु को धारण करें तथा उसके परामर्शनुसार ही सिद्धि या साधना को पूर्ण करने का प्रयास करें। साधना से होने वाले किसी भी परिणाम के लिए हम उत्तरदायी नहीं है ।