काल सर्प दोष के बारे में विस्तृत जानकारी:-
काल सर्प दोष के बारे में इस पोस्ट में कई विद्वानों के विचार मुझसे भिन्न हो सकते है, कालसर्प दोष एक ऐसा दुर्योग है जिसका नाम सुनते ही व्यक्ति में भय व चिंता व्याप्त हो जाती है। कुछ विद्वान कालसर्प दोष को सिरे से नकारते हैं, तो कुछ इसे बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं। मेरे देखे दोनों गलत हैं। ‘कालसर्प दोष’ को न तो महिमामंडित कर प्रस्तुत करना सही है और न ही इसके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगाना उचित है। ‘कालसर्प’ दोष जन्म पत्रिका के अन्य बुरे योगों तरह ही एक बुरा योग है, जो जातक के जीवन में दुष्प्रभाव डालता है।
खासतौर पर मानसिक अशांति, और नकारात्मक द्रष्टिकोण हमेशा उसे आगे बढ़ने से रोकते है,
आसान जीवन जीने की चाह और एक अजीब सा आलस हमेशा मंजिल प्राप्ति में बाधक बनते है,
ऐसा व्यक्ति कभी भी अपने जीवन से संतुष्ट नही होता।
जानिये क्या होता है काल सर्प योग;-
जब किसी जातक की कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते है तो कुंडली में उस दशा को काल सर्प योग कहा जाता है । ग्रहों की राहु एवं केतु के बीच स्थिति अलग अलग हो सकती है और इन स्थितियों के अनुसार इस योग का जातक के जीवन में प्रभाव हो सकते है । इन प्रभावों में से कुछ लाभकारी भी हो सकते है । ज्योतिष में इस योग को अशुभ माना गया है लेकिन कभी कभी यह योग शुभ फल भी देता है, ज्योतिष में राहू को काल तथा केतु को सर्प माना गया है राहू को सर्प का मुख तथा केतु को सर्प का पूंछ कहा गया है वैदिक ज्योतिष में राहू और केतु को छाया ग्रह संज्ञा दी गई है,
मनुष्य को अपने पूर्व दुष्कर्मो के फलस्वरूप यह दोष लगता है जैसे शर्प को मारना या मरवाना , भ्रूण हत्या करना या करवाने वाले को , अकाल मृत्यु ( किसी बीमारी या दुर्घटना में होने करण )
उसके जन्म जन्मान्तर के पापकर्म के अनुसार ही यह दोष पीढ़ी दर पीढ़ी चला आता है, ये दोष भी ऋण बंधन में आगे आने वाली पीढ़ी में आता चला जाता है ।
कष्टकारी भी हो सकता है काल सर्प दोष :-
अकल्पित, असामयिक घटना दुर्घटना का होना, जन-धन की हानि होना। परिवार में अकारण लड़ाई-झगड़ा बना रहना। पति/तथा पत्नी वंश वृद्धि हेतु सक्षम न हों। आमदनी के स्रोत ठीक-ठाक होने तथा शिक्षित एवम् सुंदर होने के बावजूद विवाह का न हो पाना। बारंबार गर्भ की हानि (गर्भपात) होना। बच्चों की बीमारी लगातार बना रहना, नियत समय के पूर्व बच्चों का होना, बच्चों का जन्म होने के तीन वर्ष की अवधि के अंदर ही काल के गाल में समा जाना।धन का अपव्यय होना।
जातक व अन्य परिवार जनों को अकारण क्रोध का बढ़ जाना, चिड़चिड़ापन होना। परीक्षा में पूरी तैयारी करने के बावजूद भी असफल रहना, या परीक्षा-हाल में याद किए गए प्रश्नों के उत्तर भूल जाना, दिमाग शून्यवत हो जाना, शिक्षा पूर्ण न कर पाना। घर में वास्तु दोष सही कराने, गंडा-ताबीज बांधने, झाड़-फूंक कराने का भी कोई असर न होना। ऐसा प्रतीत होना कि सफलता व उन्नति के मार्ग अवरूद्ध हो गए हैं। जातक व उसके परिवार जनों का कुछ न कुछ अंतराल पर रोग ग्रस्त रहना, सोते समय बुरे स्वप्न देख कर चौक जाना या सपने में शर्प दिखाई देना या स्वप्न में परिवार के मरे हुए लोग आते हैं. किसी एक कार्य में मन का न लगना,शारीरिक ,आर्थिक व मानशिक रूप से परेशान तो होता ही है, व्यक्ति नाना प्रकार के विघ्नों से घिरा होता है प्रायः इसी योग वाले जातको के साथ समाज में अपमान ,परिजनों से विरोध ,मुकदमेबाजी आदि कालसर्प योग से पीड़ित होने के लक्षण हैं.
ज्योतिष में राहु-केतु को अशुभ ग्रह माना गया है. लेकिन ये दोनो ग्रह शुभ फल भी प्रदान करते हैं. जिन लोगों की कुंडली में राहु-केतु बलवान होते हैं और अन्य ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति को इसके अच्छे परिणाम भी मिलते हैं।
कालसर्प दोष एक ऐसा योग है जो अधिकांश कुंडली में मौजूद रहता है. लेकिन इससे घबराना नहीं चाहिए. बस जरूरत है सही उपाय की, और जीवन को पूरी तरह शुद्ध निर्मल बनाते हुए, ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण की।
कालसर्प दोष का प्रभाव;-
जब व्यक्ति की जन्मकुंडली में इस दोष का निर्माण होता है तो ऐसा व्यक्ति बहुत परिश्रमी होता है. हानि होने के बाद भी ऐसे व्यक्ति हिम्मत नहीं हारते हैं और निरंतर सफल होने के लिए प्रयास करते रहते हैं. कह सकते हैं ऐसे लोगों को सफलता बहुत ही संघर्षो से प्राप्त होती है. लेकिन जब ऐसे लोग सफल होते हैं तो वो अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण बन जाते हैं. कई महापुरुष और दुनिया के सफल व्यक्तिओं की जन्म कुंडली में भी कालसर्प दोष देखा गया है ।
राहु-केतु का स्वभाव:-
ये दोनो पाप ग्रह हैं. ये छाया ग्रह माने गए हैं. जीवन में जब भी कुछ अचानक होता है तो इसके पीछे इन्हीं ग्रहों का हाथ होता है. राहु और केतु की एक विशेष बात ओर है ये जब भी करते हैं कुछ बड़ा ही करते है. ऐसे में अगर व्यक्ति का नुकसान करेंगे तो बड़ा नुकसान करेंगे. व्यक्ति अर्श से फर्श पर आ जाता है ऐसी स्थिति भी बना देते हैं. वहीं जब ये लाभ दिलाते हैं तो ये व्यक्ति को फर्श से अर्श पर पहुंचा देते हैं. ये इन ग्रहों का विशेष स्वभाव है.
काल सर्प योग के 12 प्रकार के होते है:-
(1) अनंत काल सर्प योग,
(2) कुलिक काल सर्प योग,
(3) वासुकी काल सर्प योग,
(4) शंखपाल काल सर्प योग,
(5) पदम् काल सर्प योग,
(6) महापद्म काल सर्प योग,
(7) तक्षक काल सर्प योग,
(8) कर्कोटक काल सर्प योग,
(9) शंख्चूर्ण काल सर्प योग,
(10) पातक काल सर्प योग,
(11) विषाक्त काल सर्प योग,
(12) शेषनाग काल सर्प योग,
कालसर्प दोष की पहचान:-
ऐसे लोगों को रात में डरावने सपने आते हैं। लोगों के मन में अक्सर डर बना रहता है।
ऐसे लोगों को सपने में अक्सर सांप दिखाई देता हैं और घर परिवार में विवाद का माहौल बना रहता है।
काल सर्प दोष पीड़ित लोगों को लगता है जैसे उनके पास कोई भूत खड़ा है और यही कारण है कि ऐसे लोगों के समाज में शत्रुओं की संख्या बढ़ती रहती है।
ऐसे लोगों को अनहोनी की आशंका बनी रहती है जिसके कारण सफलता में रुकावटें आती हैं।
ऐसे लोग लम्बे समय से बीमारी से ग्रसित रहते हैं और सफल इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है।
कालसर्प दोष के लक्षण:-
कालसर्प दोष के अनेकों लक्षण हैं सामान्य यह लक्षण कुछ इस प्रकार के हैं :-
1) यदि कुंडली में कालसर्प योग होता है तो जातक कितनी भी मेहनत कर ले उसको मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता है।
2) कारोबार फलीभूत नहीं होता है,व्यवधान उत्पन्न होते हैं, सौदे टूटने लगते हैं तथा कारोबार में हानि होती है।साथ ही साथधनकीभी काफी हानि होती रहती है।
3) बार-बार कोई न कोई दिक्कत का सामना उसे करना पड़ता है।
4) जिंदगी में कोई ना कोई काला धब्बा एक बार अवश्य लगता है।
5) संतान प्राप्ति की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
6) विवाह में भी काफी दिक्कतें आती हैं ,यदि विवाह में विलंब होता है तो यह भी कालसर्प दोष का एक लक्षण है।
7) वैवाहिक जीवन में अनेकों परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं जिस कारण से वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो जाता है और तलाक तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
8) वह आदमी हमेशा बीमारियों से घिरा रहता है और रोग बार-बार लगा रहता है।
9) यदि कुंडली में कालसर्प योग है तो पीड़ित व्यक्ति को मृत्यु होने के सपने अधिक आते हैं। अक्सर घर के व्यक्तियों के मृत्यु के सपने आते हैं।
10) सोते समय ऐसा अनुभव होता है जैसा कोई उसे मारने की कोशिश कर रहा हो। उसे सपने में नदी, तालाब, समुद्र आदि दिखाई देते हैं।
11) कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है।
12) कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति, बीमारी में या किसी भी परेशानी में अपने आप को अकेला महसूस करता है।
13) पीड़ित व्यक्ति को रात को सोते समय सर्प के सपने आते हैं और अपने शरीर पर सांप लिपटे हुए दिखाई देते हैं।
14) हमेशा घबराहट महसूस होती है और वह हमेशा बेचैन रहता है। अकेलेपन एवं सुनसान स्थान पर जाने में उसे डर लगता है।
15) पढाई – लिखाई में रुकावट होना या पढ़ाई में मन न लगना , पढ़ाई बीच में ही छूट जाना।किसी तरह की कोई आर्थिक, सामाजिक, और शारीरिक बाधा उत्पन्नहोने के कारण में पढाई – लिखाई में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
16) बाल्यावस्था में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न हो जाती है , दुर्घटना होने लगती है , चोट लग जाती हैं बीमारियां होने लगती हैं यह भी कालसर्प दोष का एक लक्षण है।
17) घर में घर के सदस्यों का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है अस्पतालों के चक्कर काटते रहते हैं परंतु किसी भी बीमारी का पता नहीं चलता है।आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
18) घर में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों के दौरान बाधा उत्पन्न होती है रोकनेपड़ते हैं।
हमेशा घर परिवार में क्लेश का माहौल बना हुआ रहता है और पारिवारिक सौहार्द खत्महो जाता है।
19) जातक की कुंडली में कालसर्प दोष के कारण जातककेमाता–पिता को कष्ट उत्पन्न होता है
कालसर्प दोष में बिल्कुल ना करें ये काम।
1) बुरे कर्म करना जिससे भाग्य भी खराब हो जाता है।
2) राहु नीच का होकर बैठा है तो यह सबसे बड़ा कारण है।
3) घर का शौचायल और सीढ़ियां खराब हो तो बुरा प्रभाव प्रारंभ होता है।
4) घर की दहलीज का दब जाना, खराब हो जाना।
5) ससुराल पक्ष से संबंध खराब करना, कटु वचन बोलना, शराब पीना या नास्तिकता का कार्य करना।
काल सर्प दोष के शुभ प्रभाव:-
लोगों के बीच में अक्सर यह भ्रान्ति पाई जाती है कि काल सर्प योग जातक की कुंडली में होने से उसके जीवन में बहुत सारे कष्ट आते है और सब तरह से परेशान रहता है । उसके अथक प्रयास के वाबजूद भी उसे जीवन में सफलता नहीं मिलती । हालांकि ये सब जानकारी कटु और सच है, किन्तु इसके अलावा काल सर्प योग का दूसरा पक्ष भी है । आपको यह जानकार बड़ा आश्चर्य होगा कि काल सर्प योग कुंडली पर हो और उससे जीवन में लाभ होते हों । हम हर जगह अक्सर इस योग से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में पढ़ते व सुनते है किन्तु यदि यह योग किसी जातक के कुंडली पर उपस्थित हो, तो यह योग उसे लाभ भी प्रदान कर सकता है । आइये जानते है ऐसी ही कुछ रोचक जानकारी के बारे में।
कुछ ऐसे बड़ी हस्तियां है जिनकी कुंडली में काल सर्प योग है और हम सभी उनकी सफलताओं के बारे में भली भांति परिचित है । उन हस्तियों में जो नाम सुमार है वो है सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर, स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू ,धीरू भाई अम्बानी आदि। इन नामों को पढ़कर संभवतः आप भी यह मानने पर विवश होंगे की काल सर्प योग के जातक के जीवन में लाभ भी हो सकते है । ये सभी हस्तियां अपने अपने क्षेत्रों में बेहद सफल हुए और इन्होने अपना और अपने परिवार का नाम समूचे संसार में मशहूर किया है । यह इस बात का प्रमाण है की यदि काल सर्प दोष का निवारण करके जातक अपने जीवन में प्रयासरत रहे तो उसे भी बेशुमार सफलता मिलना तय है।
ऐसे व्यक्ति किसी विशेष क्षेत्र में ऊचाइयों पर पहुंचते है।
परन्तु फिर भी जीवन में अक्सर पूर्णता का आभाव रहता है,
काल सर्प योग से होने वाले लाभ:-
1) काल सर्प योग वाले जातक अपने जीवन में अपार सफलता हासिल करते है यदि राहु उनकी कुंडली में लाभकारी स्थिति में हो । काल सर्प योग वाले जातक ज्यादा मेहनती , ईमानदार और साहसी हो सकते है, इस प्रकार से वो अपने जीवन में सफलता हासिल कर पाते है ।
2) जातक एकाग्रचित होकर अपना कार्य करते है ।
3) जातक साहसी होते है और इस वजह से वो अपने जीवन में अधिक जोखिम उठाने को तैयार रहते है । इस कारण उन्हें सफलता भी मिलती है ।
4) जातक अपनी कमजोरियों से लड़ते है और एक बेहतर अवतार में निखार कर आते है ।
5) जातक की कुंडली में यदि राहु अच्छी स्थिति में हो तो जातक की कल्पना शांति बहुत अच्छी होती है।
निष्कर्ष:-
हमने ये देखा की काल सर्प योग वाले जातक ज्यादा मेहनत करके एवं साहस और ईमानदारी दिखाकर अपनी कुंडली में उपस्थित काल सर्प योग के दुष्प्रभावाओं को निरस्त करके उनको सकारात्मक प्रभावों में परिवर्तित कर पाते है ।
काल सर्प योग यकीनन कष्टकारी होता है परन्तु ज्योतिष उपायों से इस दोष के प्रभावों को जातक के हित में ढाला जा सकता है । जातक किसी विद्वान से सही जानकारी लेकर इन सभी अच्छे प्रभावों का लाभ अपने जीवन में उठा सकता है । यह सुझाव आपके जीवन को बदल सकते है ।
महाकाल आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें ।