एकमात्र राजित साधना : कौलित साधना

कौलित साधना अघोड़ की केवल एक मात्र रजित साधना है जो कि केवल स्त्री वंश हेतु है। जिस प्रकार ज्योतिष ग्रहों ओर नक्षत्रो के अनुसार सम्पूर्ण जीवन का लेख बनाते ह उसी प्रकार अघोर के अनुसार पांच अंगक ,उनका आकर,स्तिथि,आपार में स्तिथि,उनकी नाड़ी, नाड़ी का केंद्र,नाड़ी की स्तिथि ,आपस मे मिलाप या तनाव ,ओर उनकी मुख्य नाड़ी से अवस्तिथि देख कर ही किसी व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन का लेख बतया जाकर प्रत्यक्ष समय की समस्या और निवारण भी बतया जाता ह।जब कभी भी सरीर के पांच अंगक सरीर में रटन योग बन देते है तो (केवल स्त्रियों के संबंध में) इस योग से पीड़ित स्त्री:-

1.कभी भी एक सुहागन जीवन नही जी सकती है।

2.कितने भी विवाह कर ले या तो पति की मृत्यु या उसका पत्नी को छोड़ देना,तलाक देने आदि होता है।

3.इस योग के सरीर में होने के कारण स्त्री का पति पर स्त्री गामी होकर उस पीड़ित स्त्री जो इसकी पत्नी है को अपनी ज़िंदगी से बिल्कुल अलग थलग कर देता है।

4.पीड़ित स्त्री चाहे कितने भी विवाह समस्त जीवन मे कर ले परंतु एक स्थिर वैवाहिक जीवन कबि नही जी सकती।

5.संबंधित पीड़ित स्त्री भी इस बात से पीड़ित होकर अनेको पुरुषो से संबंध बना लेती है और उनकी नकारत्मक ऊर्जा को ग्रहण कर स्वयं भी नकारत्मकता में चली जाती है।

6.संबंधित स्त्री वैवाहिक जीवन मे आर्थिक, मानसिक, शारीरिक,सामाजिक कष्टो से घिर कर अवसाद में चली जाती है।

ओर भी कई लक्षण है जो नही बात सकता।

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इन सबके हाल के लिए कौलित साधन की जाती है इसमें संबंधित स्त्री का पुतला सात अनाज के आटे से बनाकर उसको तंत्रोक्त विधि से पूर्ण कर उसको ज़मीन में जो कि शमशान की होती है में गाड़ दिया जाता है। संबंधित स्त्री को कुछ समय के लिए विधवा रूप में रूप धारण के बाद पुनः सुहागन रूप उसी रात्रि में दिया जाता है और उक्त योग को शांत कर उस स्त्री को सामान्य जीवन मे वापिस लाया जाता है।।इस तंत्रोक्त क्रिया से पहले 11 दिन इस तंत्रोक्त की पूर्ण विधिया की जाती है जिनका गुप्त रहना ही सही है।