हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के 12 रत्न

हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के 12 रत्न

रत्‍नों को प्रकृति का हमें दिया गया अनमोल और बेजोड़ उपहार माना जाता है। ज्‍योतिष विद्या में रत्‍नों का विशेष महत्‍व बताया गया है। विभिन्‍न प्रकार के रत्‍नों को धारण करके जहां ग्रह दशा और दरिद्रता दूर की जा सकती है। वहीं इन्‍हीं रत्‍नों के माध्‍यम से स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍याओं से भी छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसे ही 12 रत्‍नों के बारे में जिनको धारण करके आप स्‍वास्‍थ्‍य की 12 समस्‍याएं दूर कर सकते है।

ज्योतिष शास्त्र में ब्रह्माण्ड की सृष्टि, संवर्ग, व्यवहार, प्रलय और फिर से सृष्टि का सिद्धांत है। इस शास्त्र में प्रत्येक ग्रह और नक्षत्र का अपना एक महत्व है, और इनके साथ-साथ उनके शुभ और अशुभ प्रभावों को जानने के लिए रत्नों का भी खास महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में 12 विशेष रत्नों का उल्लेख किया गया है जो व्यक्ति के जीवन को संवर्धन और सुख-शांति से भर देते हैं। यहाँ वह 12 रत्न हैं जो ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माने गए हैं:-

माणिक्य (Ruby):

माणिक्य, रत्नों की एक प्रजाति, सूर्य का प्रतीक है। ज्योतिष में, इस रत्न को प्रेम, समृद्धि, आत्मविश्वास और आत्मशक्ति का प्रतीक माना जाता है। माणिक्य कारागार में एक व्यक्ति की आत्मा के प्रेम और संवेदनशीलता को प्रकट करता है। यह रत्न आत्मविश्वास को बढ़ाता है और व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक संपन्नता में लाता है। इसके अलावा, यह रत्न प्रेम और प्रेमपूर्ण संबंधों को मजबूत करता है, जिससे व्यक्ति का जीवन सुंदर और संतुलित हो जाता है।

 

 

रूबी माणिक्य Ruby

मोती (Pearl):

मोती (Pearl) एक प्रमुख रत्न है जो चंद्रमा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस रत्न का गहरा संबंध चंद्रमा से होता है, जिसे हिन्दू ज्योतिष में चंद्रमा ग्रह के साथ जोड़ा जाता है। मोती को शांति और शुभता का प्रतीक माना जाता है।

यह रत्न व्यक्ति की मानसिक स्थिति को स्थिर करने में मदद करता है। चंद्रमा की ऊर्जा से युक्त मोती व्यक्ति के आत्मा को शांति और संतुलन की अनुभूति कराता है। यह मानसिक संतुलन को बनाए रखने में सहायता करता है और व्यक्ति को मानसिक स्थिति के प्रति संतुष्ट बनाए रखता है। मानसिक स्थिति की स्थिरता के साथ-साथ, यह मनोबल को बढ़ाने में भी मदद करता है।

इस प्रकार, मोती को धारण करने से व्यक्ति की मानसिक शांति, संतुलन, और मनोबल में वृद्धि होती है, जो उसके जीवन को समृद्ध और सुखमय बनाए रखने में मदद करता है।

मोती (Pearl)

मणि (Emerald):

हिंदू ज्योतिष शास्त्रों में मणि, एक स्वीकृत रत्न, महत्वपूर्ण है। यह बुद्धि, विवेक और शांति का प्रतीक है और बुध का प्रतीक है। स्वीकृत मणि पहनने से व्यक्ति की मानसिक स्थिरता और शांति बनी रहती है। यह उच्च विचारशीलता और निर्णय शक्ति को बढ़ाता है। मान्यता प्राप्त मणि का प्रभाव आत्मविश्वास बढ़ाता है और एक व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने में मदद करता है। मणि भी व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकती है, क्योंकि इसमें आध्यात्मिक और व्यावसायिक उन्नति की क्षमता आती है।

मणि (Emerald)

 

मनक (Ruby):

मान्यता प्राप्त रत्न मनक (Ruby) हिंदू ज्योतिष शास्त्रों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे चंद्रमा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, जिसे चंदनी, शांति और ध्यान की प्रतीक माना जाता है। मान्यता प्राप्त मनक का प्रयोग शांति और संतुलन की अवस्था में लाता है और चिंता से मुक्ति प्रदान करता है। यह मानसिक स्थिति को स्थिर करता है और ध्यान को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपने आत्मा को समझने में सफल होता है। मनक का प्रयोग आत्म-विकास और आत्म-समर्पण में भी किया जाता है, जिससे व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में समर्थ बनता है। यह एक प्रमुख रत्न है जो संवेदनशीलता और आत्म-समर्पण की प्रक्रिया को प्रेरित करता है।

मनक (Ruby)

 

पुखराज (Yellow Sapphire):

पुखराज, जो कि पीला सफायर (Yellow Sapphire) के रूप में जाना जाता है, हिंदू ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण रत्न माना जाता है। यह बृहस्पति, जो ज्ञान, विद्या, और संवेदनशीलता के देवता है, का प्रतीक है। पुखराज का धारणा करने से व्यक्ति की विद्या में वृद्धि होती है और उसकी ज्ञान की भूख को शांति मिलती है। यह रत्न विद्या, शिक्षा, और संवेदनशीलता की ऊर्जा को बढ़ाता है जो व्यक्ति को उच्च शिक्षा में सफलता प्रदान करता है।

साथ ही, पुखराज व्यापार में भी प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसकी मान्यता से व्यापार में सफलता प्राप्त की जा सकती है। यह विपणी और व्यापार में लाभ की प्राप्ति में सहायता करता है और उद्यमिता और निष्ठा को बढ़ाता है। पुखराज का प्रयोग व्यापारिक संवेदनशीलता, नेतृत्व, और संयम में मदद करता है, जो व्यापार में सफलता की ओर ले जा सकता है।

पुखराज (Yellow Sapphire)

नीलम (Blue Sapphire):

नीलम, जिसे ब्लू सैफायर (Blue Sapphire) के रूप में जाना जाता है, हिंदू ज्योतिष शास्त्रों में शनि ग्रह का प्रतीक है। यह रत्न संघर्ष, संघर्षशीलता, और विश्वास की ऊर्जा को बढ़ाता है। नीलम पहनने से व्यक्ति का मानसिक स्थिति मजबूती से बनी रहती है, जो संघर्षों से पार पाने में मदद करता है।

शास्त्रों में यह माना जाता है कि शनि ग्रह व्यक्ति को उच्च स्तर की संघर्षशीलता और आत्म-नियंत्रण प्रदान करता है। यह उसकी इच्छाशक्ति और संघर्षशीलता में वृद्धि करता है, जो उसे जीवन की मुश्किल स्थितियों से निपटने में मदद करता है। नीलम का प्रयोग व्यक्ति को संघर्षों का सामना करने में साहसी और समर्थ बनाता है और उसे आत्म-नियंत्रण में मदद करता है, जिससे वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध रहता है।

नीलम (Blue Sapphire)

गोमेद (Hessonite Garnet):

गोमेद, जिसे हेसोनाइट गार्नेट (Hessonite Garnet) के रूप में जाना जाता है, हिंदू ज्योतिष शास्त्रों में राहु ग्रह का प्रतीक है। यह रत्न संकेत करता है कि व्यक्ति को अपने धार्मिक उद्देश्यों में सुधार करना चाहिए और अपनी स्वाभाविक शक्तियों में परिश्रम करना चाहिए। गोमेद पहनने से व्यक्ति की भयमुक्ति और सामर्थ्य की ओर प्रवृत्ति होती है।

शास्त्रों में इसे धार्मिक विकास और आत्म-ज्ञान को प्राप्त करने में सहायता करने का कारण माना जाता है। गोमेद का प्रयोग व्यक्ति की आत्मा की ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे वह अपनी असीमित प्राकृतिक शक्ति को समझता है और उसका सही दिशा में उपयोग करता है। यह रत्न व्यक्ति को उच्च स्तर पर समय का मूल्य समझाता है, जो उसे उच्च दिशा में ले जा सकता है।

गोमेद (Hessonite Garnet)

कटिलमाणि (Cat’s Eye):

कटिलमाणि, जिसे कैट्स आई (Cat’s Eye) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू ज्योतिष में केतु ग्रह का प्रतीक है। यह रत्न संकेत करता है कि व्यक्ति को भविष्य में होने वाली घटनाओं को समझने की क्षमता प्राप्त होती है। कटिलमाणि पहनने से व्यक्ति की निर्णय और समय पर क्रियान्वयन की क्षमता में वृद्धि होती है।

इस रत्न को पहनने से व्यक्ति को आत्म-समर्पण में सहायता मिलती है और उसकी चेतना में जागरूकता आती है। कटिलमाणि व्यक्ति को उसके आसपास की घटनाओं को ठीक से समझने में मदद करता है, जिससे वह सही निर्णय लेता है और अपने जीवन को संचालित करने के लिए सजग रहता है। इस रत्न का प्रयोग व्यक्ति को उच्च स्तर पर ज्ञान और समझ की ओर प्रेरित करता है, जिससे वह अपने जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों का सामना करने में सफल होता है।

कटिलमाणि (Cat's Eye)

लहसुनिया (Blue Zircon):

लहसुनिया, जिसे ब्लू ज़िरकॉन (Blue Zircon) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू ज्योतिष में शनि ग्रह का प्रतीक है। यह रत्न जिम्मेदारी, धैर्य, और स्थिरता की भावना को प्रकट करता है। लहसुनिया पहनने से व्यक्ति की व्यवस्था और संस्कृति में वृद्धि होती है, जो उसकी जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करता है।

शनि ग्रह के प्रति लहसुनिया की मान्यता से, यह रत्न समस्याओं के समाधान में मदद करने में सहायता प्रदान करता है। यह व्यक्ति को अवस्था की निगरानी और सही निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि करता है, जिससे वह अपने जीवन की समस्याओं का सामना करने में सफल होता है। लहसुनिया का प्रयोग व्यक्ति को संघर्षों से निपटने में मदद करता है, उसकी आत्म-संयम और संघर्षशीलता को बढ़ाता है, और उसे समस्याओं के सही समाधान की ओर प्रवृत्त करता है।

लहसुनिया (Blue Zircon)

गोलू (Hessonite):

हिंदू ज्योतिष में गोलू, जिसे हेसोनाइट (Hessonite) के नाम से भी जाना जाता है, राहु ग्रह का प्रतीक है। यह रत्नाकर संवेदनशीलता, विचारशीलता और संवेदनशीलता का प्रतीक है। गोलू पहनने से व्यक्ति की सोच और बुद्धि में वृद्धि होती है, जिससे वह नए विचारों को स्वीकार करने में अधिक सक्षम हो जाता है।

यह रत्न राहु ग्रह के प्रति गोलू की श्रद्धा को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन के मामूले और विशिष्ट पहलुओं को समझने में सक्षम होता है। गोलू का उपयोग नई आवश्यकताओं को समझने में मदद करता है, उद्यमिता और विचारशीलता को बढ़ाता है और विशिष्ट समस्याओं के सही समाधान की ओर प्रेरित करता है।

गोलू (Hessonite):

फीरोजा (Turquoise):

फीरोजा, जिसे टर्क्वॉइज़ (Turquoise) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू ज्योतिष में शुक्र ग्रह का प्रतीक है। यह रत्न प्रेम, शांति, और संतुलन की भावना को प्रकट करता है। फीरोजा पहनने से व्यक्ति की भावनाओं की संतुलन और संबंधों में वृद्धि होती है, जिससे वह अपने जीवन में प्रेम और संतुलन की भावना को महत्व देता है।

शुक्र ग्रह के प्रति फीरोजा की मान्यता से, यह रत्न व्यक्ति के अंतर्निहित संबंधों की महत्वपूर्णता को समझाता है। यह व्यक्ति को संबंधों की गहराईयों में समझौता करने की क्षमता प्रदान करता है, उसकी भावनाओं को समझने में मदद करता है, और उसे संबंधों को मजबूती से निभाने के लिए सजग बनाता है। फीरोजा का प्रयोग व्यक्ति को उसके संबंधों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने में मदद करता है, उसे प्रेम और समरसता में निरंतरता बनाए रखने में सहायता प्रदान करता है।

फीरोजा (Turquoise):

शुक्रतारा (Diamond):

आपने सही कहा है, यह रत्न वास्तव में ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। शुक्रतारा, जिसे शुक्र रत्न (Venus Stone) के रूप में जाना जाता है, हिंदू ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह शुक्र ग्रह का प्रतीक है, जिसे प्रेम, शांति, और सुंदरता की भावना से जोड़ा जाता है।

यह रत्न समृद्धि और आनंद में वृद्धि करता है और व्यक्ति को संपन्नता और सफलता की ओर ले जाता है। शुक्र रत्न का प्रयोग व्यक्ति को प्रेम और समृद्ध जीवन में मदद करता है, उसकी विचारशीलता को बढ़ाता है, और उसे संतुलित और खुशहाल जीवन की दिशा में आगे बढ़ाता है। यह रत्न व्यक्ति की आत्म-समर्पण की भावना को बढ़ाता है और उसके चार्म में चार्म भरता है, जिससे वह अपने आसपास की सुंदरता को महसूस करता है। इस प्रकार, शुक्र रत्न व्यक्ति को आत्म-प्रेम और अपनी ज़िन्दगी को प्रेमपूर्ण बनाने की दिशा में आगे बढ़ाता है।