डामक तंत्र कुछ कुछ मुस्लिम इल्म से मिलता है बस अंतर इतना है कि अघोर में ये शमशान में होता है जिसके बाद सम्पूर्ण सामग्री को जलती हुई चिता में डाल दिया जाता है जबकि इल्म में इसको कब्रिस्तान में गाड़ दिया जाता है।
इस तंत्र किसी एक चीज के लिए नही किया जाता है। ये संबंधित स्त्री या पुरुष को शरीर से पीड़ा देने, मानसिक रूप से परेशान करने या विक्षिप्त करने, उसको परिवार और समाज मे बेइज़्ज़त करने अर्थात सामाजिक परेशानी और उसके व्यवसाय,नोकरी या अन्य आय के साधन को बंद करने और कर्जे में डूबाकर परेशान करने में मुख्यतः किया जाता है।
इस तंत्र को केवल ग्रहण काल मे किया जाता है चाहे वो चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण।क्रिया के बाद बची हुई सामग्री में से केवल नींबू, या भभूति या जला हुआ कोयला या रक्त इन चार चीजो में से एक को संबंधित के घर के बाहर चौकट पर या अंदर किसी कमरे ओर चैट पर डाल दिया जाता है।कभी कभी इस तंत्र को ओर मजबूत करने हेतु संबंधित के पलंग या मकान के कोनो में अभिमंत्रित काले जादू से भरी हुई किले भी ठोक दी जाती है।
इसमे शमशान में उसकी कुछ वस्तुओ से काले कपड़े में हाथ से एक पुतला बना कर छाती में 16 कील ठोक कर रक्त ओर मांस के साथ मिठाई ओर अन्य 16 भोग दिए जाते है ।हांडी इसके सीने पर रकह कर सूखे मास की धूनी दी जाती है और अंत मे मंत्रोच्चार के साथ सिद्ध कपाल,खप्पर ओर अस्थि से उस स्त्री या पुरुष के पुतले को समस्त वस्तुओ समेत जलती चिता में डाल दिया जाता है।
इसके कुल 4 लक्षण प्रमुख है :-
- अचानक से संबंधित स्त्री पुरुष का बीमार रहने जबकि जांचों में कोई बीमारी नही आना और कोई दवाई का न लगना
- स्त्रियों में अचानक से कई कई दिनों तक मासिक का चलना,निचले हिस्सो में दर्द और अन्य तरहः के स्पर्श महसूस होना।स्त्री को बांझ करने हेतु कोख बंधाई।पुरुषों में अचानक से ही पंजो में ओर हथेलियों में कंपन ।ओर उसके कुल को उसी पर ही खत्म करने हेतु संतान प्राप्ति न होने के लिये ऊरजोधन काटना अर्थात उसकी क्षमता ही नष्ट कर देना।
- मध्यरात्रि के बाद कभी भी अचानक से सोते हुए जाग जाना ओर फिर लगातार नींद नही आना
- सबसे महत्वपूर्ण जो आप पहचान सकते है अचानक से आपके किसी भी परिवारजन या समस्त परिवार के प्रत्येक सदस्य का या रिश्तेदारों का एक दूसरे से शत्रु जैसा व्यवहार।