बंधी हुई दिव्य दृष्टि या तीसरा नेत्र दोबारा जागृत करने की गुप्त साधना

बंधी हुई दिव्य दृष्टि या तीसरा नेत्र दोबारा जागृत करने की गुप्त साधना

सभी साधक जो अपने इष्टदेव को मानकर पूजा पाठ धर्म कर्म से भूत भविष्य को देखने का कार्य करते है वो सब उनकी साधना उनके इष्टदेव की कृपा से दिव्या दृष्टि की सहायता से होता है। दिव्य दृष्टि ही हमे सब कुछ दिखती है। लेकिन कभी कभी कुछ तामसिक प्रवृत्ति के लोग उसका बंधन कर देते है या उसके आलावा भी कईं कारन हो सकते है जिस वजह से दिव्य दृष्टि बंधन में आ जाती है । आज की साधना में मैं आपको भगवान शिव का मंत्र दे रहा हु जिसकी सहायता से आप बंधी हुई दिव्य दृष्टि को बंधन से मुक्त करवा कर पुनः जागृत कर सकते हो।


आज एक साधारण से प्रयोग से आपको दिव्य दृष्टि की शक्ति को प्राप्त करने का तरीका बताने जा रहा हूँ। ये साधना रात्रि 10:30 बजे के बाद सुबह भोर तक की जा सकती है और इसे करने में कोई भय भी नहीं है ये पूरी तरह से सुरक्षित है घर के एकान्त कमरे में एक ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ साधना करते समय आपको कोई परेशानी न हो। साथ ही उस समय आपको कोई बुलाये या कोई औरध्वनि आपके कानों में ना जाये।
शुभ मुहूर्त में पूर्वाभिमुख होकर घर के एक एकान्त कोने में एक आम की पटरी जो बनने के बाद धोकर सुखा ली गयी हो।स्थापित करें और उस पर लाल रंग का सवा मीटर कपड़ा बिछाकर माता दुर्गा जी का एक चित्र स्थापित करें और कलश स्थापित कर दें मा के चित्र के सामने संकल्प लें और धूप दीप फल पुष्प इत्यादि अर्पित करें तदुपरान्त नैवेद्य में बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। एक जल का पात्र पास में रख लें।जाप के अंत में वो जल आपको पीना है।
लाल चंदन, रुद्राक्ष,या लाल हक़ीक़ की 108 दानों की माला लें फिर गुरु के चरणों का ध्यान करें और गुरु मंत्र का जाप करें उसके उपरांत श्री गणेश जी और श्री गौरी का सामान्य पूजा करें और 5 माला ॐ गं गणपते नमः का जाप करें।
फिर आपको एक ही बैठक में “ॐ ह्रोम नमः शिवाय”
51 माला नित्यप्रति जाप करना है।और निम्न मंत्र का 5 माला जाप करना है।


“कोट कोट पे खेले डाल डाल पर झूले ताल ताल को सुखाये भूत भविष्य को बताए तीर पे तीर चलाये चलाये के पूर्व जन्म को ना बताये तो दृष्टि पिसाच ना कहाये बंद खुली आँखन से बताये सही गाँव संवत जाट धर्म गैल को नेत्रन से न बताये तो अपनी माँ की सैय्या तोड़े वा के चीर पे चोट करे आन कालिका की बंदगी महाकाल शंकर की मेरी भगती गुरु की शक्ति मन्त्र साँचा फूलो मन्त्र ईश्वरी वांचा”।।

बंधी हुई दिव्य दृष्टि या तीसरा नेत्र  दोबारा जागृत करने की गुप्त साधना


ये दृष्टि पिसाच का मंत्र है एक बार अगर इससे आपकी नजर या दिव्य दृष्टि खुल जाती है दोबारा बन्द नही होगी इस मन्त्र की कर्णपिशाचिनी के मंत्र की शक्ति के बराबर है लेकि कर्ण पिशाचिनी की साधना में आने वाले खतरे जैसे खतरे इसमे नही आते।

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कुछ ही दिनों में आपके सपनो में और आंख बंद करने के बाद आपको बहुत सारे सर्पों और साधुओं के दर्शन होंगे साथ ही बहुत सारी विचित्र अनुभूतिया होगी जो कि बहुत विस्मय करी होंगी जाप के समय आपकी दोनों भौहो के बीच स्पंदन या खिचाव महसूस होगा।आपके ध्यान में जाते ही आपके सामने चलचित्र की तरह आकृतियां आने लगेगी आप इतने सक्षम हो जाएंगे कि कोई भी आदमी या ईत्तरयोनि का जीव भी आपसे कुछ छिपा नहीं पायेग आप जिस भी वस्तु या प्राणी का ध्यान करेंगे वो आंखे बंद करके ध्यान में जाते ही वास्तविक रूप से आपके सामने आ जायेगा।
सोमवार को शिव उपासना करें और व्रत धारण करें
त्रयोदसी का व्रत बिना नागे के धारण करें।

क्यों भगवान शिव की अर्धपरिक्रमा ही करनी चाहिए ?
सभी साधना विषयक नियमों का सख्ती से पालन करें।
ये याद रखो कि आपको साधना के समय या वैसे भी
कब्ज़ी की शिकायत ना हो अगर है तो पहले उसकी
प्राकृतिक चिकित्सा करवाएं।
बीज मंत्र की और शास्त्रिक साधना करते हुए शुद्ध उच्चारण भूतशुद्धि न्यास और जितनी भी शास्त्रिक मर्यादा है उनका पालन करें। साबर मंत्रो की साधना के समय नौनाथों और शिवस्वरूप भगवान श्री गुरु गोरक्षनाथ जी की साधना जरूर करें।
मैंने अपनी तरफ से इस लेख में कोई कमी नही छोड़ी और ये साधना मेरी अनुभूत है कभी भी खाली नही जाती फिर इस साधना को अपने गुरुदेव के निर्देशन में ही करें अपने आप अपने मन को गुरु बना कर ये साधना को करने का प्रयास करने की बुद्धिमानी ना करें अन्यथा विपरीत परिणामो का रसास्वादन करना होगा इस में बहुत सी बारीकियां है इस लिए किसी विशेषज्ञ के निर्देशन में ही करें !