ऋण से मुक्ति और धन प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी का प्रभावशाली मंत्र
कई बार हम कुछ बुरे कामो की वजह से मुसीबत में फस जाते है और धन सम्पदा की हमें कमी महसूस होती है जिनका हमें खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। इसके आलावा हालात भी हमे मजबूर कर देते है और हमें अपने धन से हाथ धो बैठना पड़ता है। तो आज हम ऐसे ही पाठकों के लिए आज एक ऐसी साधना लेकर आये है जिस की सहायता से साधक अपने कर्ज से मुक्ति प्राप्त कर सकेंगे। आज की साधना माँ महालक्ष्मी जी की है जो आपको कर्ज से मुक्ति तथा धन धान्य में वृद्धि प्रदान करेगी।
माँ महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए अचूक एवं शास्त्र वर्णित तंत्र इस तंत्र का प्रयोग अत्यंत प्रभावशाली तथा सर्वसुलभ है । इस प्रयोग को सम्पन्न करने के उपरांत दुःख दारिद्र्य नष्ट हो जाते है तथा आय के नये नये स्त्रोत खुल जाते है कर्ज से निकलने मे यह प्रयोग अमोघ है, देवी के प्रचण्ड मंत्र और स्त्रोत के समिश्रण से बनाया गया यह प्रयोग अत्यन्त गोपनीय भी है ।
पुराणों के अनुसार देवी लक्ष्मी स्वभाव से बहुत ही चंचल है । इसलिए वे एक स्थान पर अधिक समय के लिए नहीं टिकती । जो व्यक्ति धन का आदर नहीं करते वहाँ देवी लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि भी नहीं रहती और ऐसा व्यक्ति शीघ्र ही निर्धन हो जाता है ।
कलियुग के समय में “धन’’ का बहुत अधिक महत्व है । जिनके पास धन होता है वे अपनी जरुरत और विलासिता को तो पूरा करते ही है साथ में समाज में मान-सम्मान भी पाते है । इसलिए आज के समय में धन सिर्फ जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि समाज में मान-सम्मान पाने हेतु भी अर्जित किया जाना चाहिए ।
प्रयोग विधि-:इस प्रयोग मे कोई विशेष कठिन नियम नही है, सर्वप्रथम माँ महालक्ष्मी का एक चित्र और श्री यंत्र लाकर रख ले, फिर किसी शुक्रवार को शुभ नक्षत्र और योग मे यह प्रयोग आरम्भ करे किसी कर्मकाण्डी ब्राह्मण से इसकी जानकारी ली जा सकती है पुनः श्री यंत्र की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कराये तथा प्रथम दिन की पंचोपचार पूजा जानकार के देखरेख मे करें पुनः लक्ष्मी नारायण का ध्यान करके जाप आरम्भ करें , साधना को पूर्ण करने में कालगट्टे की माला का उपयोग करे।
माँ लक्ष्मी मंत्र :-
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
प्रतिदिन 11 माला जाप करें
अथवा यथाशक्ति जाप जितना हो सके उतना ही करे पर ध्यान रखने वाली बात यह है कि प्रति दिन जप संख्या समान रहे, इसके उपरांत श्री कनक धारा स्त्रोत का पाठ करके माता को खीर का भोग लगायें तथा आरती करके क्षमा प्रार्थना करें
यह पूर्णता परीक्षित प्रयोग है।