अघोर तंत्र द्वारा की गयी क्रिया नाभि बंधन खोलना

अघोर तंत्र द्वारा की गयी क्रिया नाभि बंधन खोलना

नाभि बंधन भी अघोड़ की कुछ उच्च स्तर की तांत्रिक क्रियाओं में से एक है। इस तंत्र में केवल स्त्री को पीड़ित किया जाता है।यह क्रिया अन्य क्रियाओं से इसलिए अलग है कि अन्य क्रियाओं में संबंधित पीड़ित स्त्री के कपड़े या बाल या अन्य वस्तु चाहिए होती है तंत्र में लेकिन इस तंत्र में उसकी कोई वस्तु नही चाहिए होती बल्कि इस क्रिया के फलस्वरूप जो भभूति बनती है उसको पीड़ित स्त्री को किसी भी तरीके से  भोजन,मिठाई,या अन्य पेय पदार्थ में मिलाकर खिला दिया जाता है। इसके खाने के उपरांत अधिकतम 7 दिन बाद ही ये तंत्र अपना असर दिखने लगता है । मुख्यतः पारिवारिक दुश्मनी अथवा किसी के परिवार की वंश विराधी को रोकने हेतु ये किया जाता है।

अघोर साधना भारतीय तंत्रिक परंपरा का एक अंश है जो तांत्रिक साधनाओं में से एक है। यह साधना अधिकतर अघोरी सम्प्रदायों और अघोरी बाबाओं द्वारा प्रयोग की जाती है। अघोर साधक अधिकतर महाशम्भव साधना द्वारा आत्म ज्ञान और दिव्यत्व को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

अघोर साधना में योगियों का उच्च स्तर का ध्यान, तापस्या, और तपस्विनी की प्राप्ति के लिए विभिन्न कठिन तांत्रिक क्रियाएं और मंत्रों का उपयोग किया जाता है। इन साधनाओं में ध्यान, प्राणायाम, धारणा, मंत्रजाप, आसन और नियमित अभ्यास शामिल होते हैं।

अघोर साधना के माध्यम से साधक अपने मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक उन्नति और संयम मिलता है। इसे करने वाले साधक भोग, भय, और आस्तिकता से मुक्त होते हैं और एक उच्चतर दृष्टिकोन से जीवन को देखने में समर्थ होते हैं।

यह एक गंभीर और जिम्मेदार साधना है जिसे केवल अनुभवी और गुरुकुल के माध्यम से सिखाया जाना चाहिए। साधना के दौरान अधिकतर साधक विशेष तपस्या, व्रत, और नियमों का पालन करते हैं जो उन्हें अध्यात्मिक उन्नति के पथ पर मदद करते हैं।

कृपया ध्यान दें कि साधनाओं का प्रयोग और सिद्धि करने के लिए विशेष ज्ञान, अनुभव, और नैतिकता की आवश्यकता होती है। इसलिए, यदि आप इस दिशा में रुचि रखते हैं, तो आपको एक अनुभवी गुरु की मार्गदर्शन में जाना चाहिए और साधना करनी चाहिए।

 

अघोर तंत्र द्वारा की गयी क्रिया नाभि बंधन खोलना

नाभि बंधन के लक्षण:-सबसे मुख्य लक्षनो में जिस दिन किसी स्त्री को ये खिलाया जाता है उस दिन उसका मन अस्थिर होकर विचलित होने लग जाता है।साथ ही उल्टी आना और पेट मे दर्द महत्वपूर्ण है। लगातार अजीब सी बदबू चारो तरफ बनी रहना जो किसी अन्य को न आये, कुछ घंटों बाद ही बिना दवाई के ये लक्षण अचानक से मिट जाते है और फिर 7 दिन बाद अपने असली प्रभाव को दिखाना सुरु करते है ।

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किसी स्त्री का अपने पति अथवा घरवालों से न बनाना, लगातार पूरे पावो में दर्द रहना,कमर के लगातार दुखना,नाभि के चारो ओर खिंचाव,गर्भ धारण न कर पाना,गर्भ का 2 या 3 महीने में खराब हो जाना, लगातार सरीर की शक्ति कम होने के साथ ही मुह का तेज चला जाना,काम उम्र में ही बहुत अद्धिक उम्र की दिखना तथा यौनांगों का बेडौल हो जाना महत्वपूर्ण लक्षण है। पाव के तलवों में लगातार जलन या चींटी जैसा चलना प्रतीत होने भी इसका लक्षण हो सकता है।

नोट:-ध्यान रहे ये पोस्ट केवल जानकारी हेतु उपलब्ध करवाई गयी है, किसी भी प्रकार के परिणामो के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। यह पर दी गयी किसी भी साधना का नकारात्मक उपयोग न करे। अधिक जानकारी के लिए किसी पारंगत गुरु जी से दीक्षा ले या फिर हमसे सम्पर्क करे। ध्यान रहे कि तंत्र, मंत्र, और साधना जैसे विषय विशेषज्ञता और जिम्मेदारी का सवाल हैं, और इन्हें ध्यानपूर्वक और आवेदनशीलता से करना चाहिए। सावधानीपूर्वक सोचे और फिर निर्णय लें कि क्या आप इसे करने के लिए तैयार हैं और आपको इसे करने का ज्ञान और संयम है।