नाभि बंधन भी अघोड़ की कुछ उच्च स्तर की तांत्रिक क्रियाओं में से एक है। इस तंत्र में केवल स्त्री को पीड़ित किया जाता है।यह क्रिया अन्य क्रियाओं से इसलिए अलग है कि अन्य क्रियाओं में संबंधित पीड़ित स्त्री के कपड़े या बाल या अन्य वस्तु चाहिए होती है तंत्र में लेकिन इस तंत्र में उसकी कोई वस्तु नही चाहिए होती बल्कि इस क्रिया के फलस्वरूप जो भभूति बनती है उसको पीड़ित स्त्री को किसी भी तरीके से भोजन,मिठाई,या अन्य पेय पदार्थ में मिलाकर खिला दिया जाता है। इसके खाने के उपरांत अधिकतम 7 दिन बाद ही ये तंत्र अपना असर दिखने लगता है । मुख्यतः पारिवारिक दुश्मनी अथवा किसी के परिवार की वंश विराधी को रोकने हेतु ये किया जाता है।
नाभि बंधन के लक्षण:-सबसे मुख्य लक्षनो में जिस दिन किसी स्त्री को ये खिलाया जाता है उस दिन उसका मन अस्थिर होकर विचलित होने लग जाता है।साथ ही उल्टी आना और पेट मे दर्द महत्वपूर्ण है।लगातार अजीब सी बदबू चारो तरफ बनी रहना जो किसी अन्य को न आये, कुछ घंटों बाद ही बिना दवाई के ये लक्षण अचानक से मिट जाते है और फिर 7 दिन बाद अपने असली प्रभाव को दिखाना सुरु करते है
किसी स्त्री का अपने पति अथवा घरवालों से न बनाना, लगातार पूरे पावो में दर्द रहना,कमर के लगातार दुखना,नाभि के चारो ओर खिंचाव,गर्भ धारण न कर पाना,गर्भ का 2 या 3 महीने में खराब हो जाना, लगातार सरीर की शक्ति कम होने के साथ ही मुह का तेज चला जाना,काम उम्र में ही बहुत अद्धिक उम्र की दिखना तथा यौनांगों का बेडौल हो जाना महत्वपूर्ण लक्षण है। पाव के तलवों में लगातार जलन या चींटी जैसा चलना प्रतीत होने भी इसका लक्षण हो सकता है।
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