किसी भी प्रकार की सुख सुविधा प्राप्त करने के लिए ब्रह्मा बेताल साधना

किसी भी प्रकार की सुख सुविधा प्राप्त करने के लिए ब्रह्मा बेताल साधना

किसी भी प्रकार की सुख सुविधा प्राप्त करने के लिए ब्रह्मा बेताल साधना बहुत महत्वपूर्ण साधना मानी जाती है। ध्यान रहे ये साधना अघोर प्रकार की साधना है। ये साधना केवल उन स्त्री पुरुष और साधक साधिकाओं ले लिए जो गिरहस्थ में होते हुए भी साधनाओ में रुचि रखते है।

ये साधना मुख्यतः ब्रह्म बेताल को साधने अथवा सिद्ध करने हेतु की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य खुद के आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के साथ साथ सामाजिक रूप से भी उच्च क्रम में जाने के लिए किया जाता है। इस सीधी को या बेताल साध कर व्यक्ति कुछ समय मे ही अन्य व्यक्तियों से बहुत आगे निकल जाता है।

जिसमे की व्यवसाय ,राजनीति,अदाकारी,नोकरी ,संगीत और भी अन्य तरीके से व्यक्ति समाज के अन्य लोगो से इन कार्यो में आगे निकल कर खुद की अलग पहचान बनाता है। ब्रह्म बेताल द्वारा समय समय पर ऐसे कारण ओर परिस्तिथियां निर्मित की जाती है कि व्यक्ति विशेष के समस्त कार्य अपने आप बनते चले जाते है। बेताल साधना किसी भी प्रकार की सुख सुविधा देने में सक्षम है।

इसके कुछ बिन्दू निम्न है :-

  1. समय:- ग्रहण का ब्रह्म महूर्त
  2. दिशा:-दक्षिण
  3. स्थान किसी भी कुआ बावड़ी के समीप की दक्षिण दिशा
  4. आसन:- आधा लाल आधा काला
  5. भोग:-53
  6. हवन कुंड:- 6 कूट
  7. मंत्रजाप:- 11000
  8. वचन समय:- अगले ग्रहण तक
  9. मसिक भोग
  10. स्तिथि:- केवल पगड़ी काली
  11. कुल सामग्री संख्या:- 89
  12. दीक्षा केवल अघोर

ब्रह्मा बेताल साधना

ऐसी विकट साधना सिद्ध हो जाऐ तो मनुष्य को असिमीत सामर्थ्य से भर देती है और यदी विफल हो जाऐ तो साधक को भिषण परिणाम भुगतने पड सकते है। चलिऐ वीर बेताल साधना के उदाहरण से बेताल साधना को जानने का प्रयास करते है। नवरात्रों के रूप में पूजी जाने वाली नव दुर्गा के बारे में विशेष जानकारी

यह साधना राजाओं आदि के लिए अधिक उपयुक्त रही है व बेहद तीव्र भयावह साधना है इसके परिणाम भी बेहद तीव्र होते हैं ।  इस साधना को वीर वेताल साधना भी कहते हैं क्योंकि इसमें वीर के शव का भी उपयोग किया जाता है कामकलाकाली के अंतर्गत इसकी साधना की जाती है क्योकि यह मूलतः काली की ही शक्ति है

किन्तु कामकलाकाली के अंतर्गत आने वाली साधना राजाओं इत्यादि के अधिक अनुकूल रही है ,जिसमे योद्धा के सर सहित मृत शव पर साधना की जाती है और साधना में नर चोर की बलि दी जाती है ,परिणामस्वरुप मृत योद्धा और चोर ताल बेताल हो जाते हैं।

इस साधना में युद्ध में मरे योद्धा /वीर के शव को लाकर रखा जाता है ।  इसके बाद स्नान ,संध्यावंदन आदि करने के बाद राजा को कृष्ण चतुर्दशी की रात्री में एक चोर जिसे मृत्यू दंड दिया गया हो उसे लाना पडता है।

इसके बाद शव पर आरूढ़ होकर पवित्र और निर्भय मंत्र का जप करना होता है ।  एक हजार या दो हजार जप के पूर्ण होने तक कपालिनी उस शव में प्रवेश कर आवेश उत्पन्न करती है ।  इसके बाद कपालिनी के लिए बली देनी होती है ।

यदि बेताल की साधना में बेताल साकार रूप में प्रकट हो तो साधक को घबराना नहीं चाहिए।  माला अर्पित कर प्रणिपात करे, मंत्र का नम्रतापूर्वक पाठ करे ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं वीर सिद्धिम दर्शय दर्शय फट

बेताल अग्नि के प्रतीक रूप में या शून्य में बोलते हुए प्रकट होता है ।  साक्षात साकार रूप में वह कम ही प्रकट होता है ,केवल साधक पर विशेष प्रसन्न होने पर ही बेताल साकार रूप में साधक को दर्शन देता है ।  यह समय साधक के जीवन का अभूतपूर्व और असाधारण समय होता है। श्री स्वर्णाकर्षण भैरव पूजनम्

 

 

ध्यान रहे की आप किसी पारंगत गुरु से इसकी दीक्षा जरूर ले अन्यथा परिणाम कुछ भी हो सकते है।  हमारा उद्देश्य आपको सिर्फ जानकारी उपलबध करवाना है हम किसी भी प्रकार के परिणाम के लिए उतरदायी नहीं है।

हम किसी भी साधना को सिर्फ ज्ञान उपार्जन के उद्देश्य से ही पोर्टल पर प्रस्तुत करते है। अपनी तरफ से हम अपनी व्यक्तिगत सोच को अलग पाते है। किसी भी प्रकार की साधना के लिए उपयुक्त गुरु को धारण करें तथा उसके परामर्शनुसार ही सिद्धि या साधना को पूर्ण करने का प्रयास करें। साधना से होने वाले किसी भी परिणाम के लिए हम उत्तरदायी नहीं है ।