भगवन सूर्यदेव की स्तुति:-
वैदिक ज्योतिष में सूर्यदेव कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करता है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है।
यदि जन्मपत्री में सूर्य शुभ स्थान पर अवस्थित हो तो जातक को इसके शुभ परिणाम परिणाम मिलते हैं। सूर्य की यह स्थिति जातकों के लिए सकारात्मक होती है। इसके प्रभाव से लोगों को मनवांछित फल प्राप्त होते हैं और जातक स्वयं के अच्छे कार्यों से प्रेरित होते हैं। जातक का स्वयं पर पूरा नियंत्रण होता है।
स्तुति मंत्र:-
ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेश यन्नमृतम्मर्तंच।
ॐ हिण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
|| सूर्य नारायण भगवान की कृपा सेआपका कल्याण हो। ||
बली सूर्य:- ज्योतिष में सूर्य ग्रह अपनी मित्र राशियों में उच्च होता है जिसके प्रभाव से जातकों को अच्छे फल प्राप्त होते हैं। इस दौरान व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनते हैं। बली सूर्य के कारण जातक के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं और जीवन के प्रति वह आशावादी होता है। सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति करता है और समाज में उसका मान-सम्मान प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के अंदर अच्छे गुणों को विकसित करता है।
बली सूर्य के प्रभाव: लक्ष्य प्राप्ति, साहस, प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता, सम्मान, ऊर्जा, आत्म-विश्वास, आशा, ख़ुशी, आनंद, दयालु, शाही उपस्थिति, वफादारी, कुलीनता, सांसारिक मामलों में सफलता, सत्य, जीवन शक्ति आदि को प्रदान करता है।
पीड़ित सूर्य के प्रभाव: अहंकारी, उदास, विश्वासहीन, ईर्ष्यालु, क्रोधी, महत्वाकांक्षी, आत्म केंद्रित, क्रोधी आदि बनाता है।
सूर्य से संबंधित कार्य/व्यवसाय: सामान्य तौर पर सूर्य जीवन में स्थायी पद का कारक होता है। यह हमारी जन्मपत्री में सरकारी नौकरी को दर्शाता है। यदि जिस नौकरी में सुरक्षा भाव सुनिश्चित होता है, वहाँ पर सूर्य का आधिपत्य भी सुनिश्चित होता है। कार्यक्षेत्र में सूर्य स्वतंत्र व्यवसाय को दर्शाता है। हालाँकि किसी व्यक्ति का करियर कैसा होगा, यह सूर्य की दूसरे ग्रहों से युति या संबंध से ज्ञात होता है। यहाँ कुछ ऐसे कार्य व व्यवसायिक क्षेत्र हैं जो सूर्य से संबंधित हैं – प्रशासनिक अधिकारी, राजा, अथवा तानाशाह।
कुंडली में सूर्य का खराब होना आंख संबंधी रोग देता है, वहीं नीच का सूर्य आपका कई जगह अपमान भी करवाता है।
कुंडली में तृतीय भाव में सूर्य की उपस्थिति जातक की आय में वृद्धि करता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति अन्याय सहता है या अन्याय देखकर मूक बना रहता है तो उसका सूर्य कमज़ोर बनता है। घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद पाकर और तीर्थयात्रा के ज़रिए कुंडली में सूर्य को अनुकूल बनाया जा सकता है।
(१) लग्न मे सू्र्य यदि पुरूष राशि मे स्थित हो तो कष्ट प्रद होता है| किन्तु यदि लग्न मे स्त्री राशि मे होतो जातक को सांसारिक सुख प्राप्ति होती है।
(२) लग्न मे धनु राशि का सूर्य जातक को विद्वान , विधिवेता,कुशल अभिनेता,बैरिस्टर,न्यायधीश या उच्च पद पर आसीन किसी सरकारी कामकाज से जुडा होता है किन्तु स्त्री का सुख प्राप्त न होना अनेक स्त्रीयो से संबंध होना ,संतान सुख न होना ,ऐसी समस्याये सामने आती है।
(३) लग्न मे कर्क राशि का सूर्य जातक को धनवान बनाता है| स्त्री सुख प्रदान करता है तथा संतान युक्त होता है| परन्तु संसारिक जीवन मे मान सम्मान कम होता है| कोई विशेस अधिकार प्राप्त नही होते।
(४) दक्षिणायन का सूर्य (कर्क से धनु तक) जातक को भाग्यशाली बनाता है| इन राशियो मे सूर्य विश्व का विकास करता है| दक्षिणायन का सूर्य जातक मे दैविय वृत्तियो का समावेश रखता है।
(५) उत्तरायण का सूर्य (मकर से मिथन तक) होने पर जातक मे वाद विवाद की आदत होती है| ऐसा जातक अपना अधिकार प्राप्त करने की ओर प्रवृत होता है।
(६) लग्न का सूर्य जातक को चिडचिडे स्वभाव का ,जिद्दी तथा बेइमान लोगो के साथ जुडने वाला बनाता है| जिसके कारण सराकर का दंड भी भोगता है।
(७) यदि लग्न मे सूर्य हो तो जातक के ऊपर यदि किसी प्रकार का कोई शासकीय धन शेष हो या सरकार द्वारा संचालित किसी प्रतिष्ठान से संबंधित धन राशि शेष हो तो उसे वापस करने मे देरी करता है| कई बार लालची या ईष्यालु अधिकारियो द्वारा धन संबंधी आरोप भी लगाया जाता है।
(८) यदि लग्न मे सूर्य हो जातक को सरकार द्वारा किसी प्रकार की पूछताछ या अभियोग का पात्र बनना पडता है।
(९) लग्न का सूर्य जातक को राजनीती मे सक्रीय बनाता है| या फिर अधिकारियो से अच्छे संबंध रखत है।
(१०) लग्न का सूर्य जातक को क्षीण काय अर्थात दुर्बल शरीर वाला व स्त्रीयो के कारण बदनाम होता है| जातक की संतान दुष्ट होती है| या कठिनाई से संतान प्राप्ति होती है| यदि तुला राशि का सूर्य हो तो जातक बाजारू स्त्रीयो मे रूची रखता है| जातक सम्मान से रहित ,ईष्या करने वाला और कमजोर आँखो वाला या बुरी नजर वाला होता है।
(११) यदि लग्न मे सूर्य हो तो जातक घने बाल वाला ,कार्य मे आलस्य युक्त बुद्धि वाला ,क्रोधी ,उग्र ,ऊँची देह वाला अर्थात लम्बा ,अंहकार ,शुष्क दृष्टी वाला ,कठोर देहधारी ,क्षमा से रहित तथा निर्दयी होता है|
उत्पाद: चावल, बादाम, मिर्च, विदेशी मुद्रा, मोती, केसरिया, जड़ी आदि।
बाज़ार: सरकारी देनदारी, स्वर्ण, रिज़र्व बैंक, शेयर बाज़ार आदि।
पेड़ पौधे: कांटेदार पेड़, घास, नारंगी के पेड़, औषधीय जड़ी बूटियों आदि।
स्थान: वन, पहाड़, किले, सरकारी भवन इत्यादि।
जानवर और पक्षी: शेर, घोड़ा, सूअर, नागिन, हंस आदि।
जड़: बेल मूल।
रत्नः माणिक्य।
रुद्राक्ष: एक मुखी रुद्राक्ष
यंत्र: सूर्य यंत्र।
रंग: केसरिया
सूर्य के मंत्र:-
ज्योतिष में सूर्य ग्रह की शांति और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताये गए हैं। जिनमें सूर्य के वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्र प्रमुख हैं।
सूर्य का तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः
सूर्य का बीज मंत्र:-
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
ज्योतिष में सूर्य ग्रह कितना महत्वपूर्ण है, यह आपने समझ ही लिया होगा। हमारी पृथ्वी पर सूर्य के द्वारा जीवन संभव है। इसी कारण सूर्य को समस्त जगत की आत्मा कहा जाता है।
सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। इसके चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं।
प्रथम भाव में सूर्य योग का उपाय:-
पहले भाव में बैठकर सूर्य अशुभ फल दे रहा है तो उस व्यक्ति को अपने जीवन में सत्य का साथ देना चाहिए। सूर्य योग के लिए अपनी आय का एक हिस्सा जरूरतमंदों की सहायता में खर्च करें। इससे आपके जीवन के कष्ट कम हो पाएंगें।
दूसरे भाव में सूर्य योग का उपाय:-
जन्मकुंडली के दूसरे भाव में सूर्य अशुभ प्रभाव दे तो जातक झगड़ालू बनता है और अपनी तीखी बातों से अपना पतन कर लेता है। किसी की भी कुंडली में इस भाव का सूर्य होना जीवन में कलह का कारण होता है। सबसे बड़ी बात यह कि कलह का कारण भी व्यक्ति स्वयं ही होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि द्वितीय भाव का सूर्य व्यक्ति को झगड़ालू प्रवृत्ति का बनाता है जो हमेशा किसी ना किसी रूप में उसके जीवन में क्लेश पैदा करता है। ऐसी स्थिति में जातक को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। धार्मिक स्थलों पर दान और सदाचार का पालन करें।
तृतीय भाव में सूर्य योग का उपाय:-
तृतीय भाव में सूर्य की उपस्थिति जातक की आय में वृद्धि करता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति अन्याय सहता है या अन्याय देखकर मूक बना रहता है तो उसका सूर्य कमज़ोर बनता है। इस भाव का सूर्य व्यक्ति को पूरी तरह अपने कमाए हुए धन का स्वामी बनाता है, यानि ये पूरी तरह’सेल्फमेड’ इंसान होते हैं। दूसरों पर जुल्म होते देखकर भी अगर ये चुप रहें तो इनके जीवन में सूर्य के अच्छे प्रभाव कम हो जाते हैं और ये गरीबी का शिकार भी हो जाते हैं। इन्हें भूलकर भी बड़े-बुजुर्गों का अनादर नहीं करना चाहिए।घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद पाकर और तीर्थयात्रा के ज़रिए कुंडली में सूर्य को अनुकूल बनाया जा सकता है।
चतुर्थ भाव में सूर्य योग का उपाय:-
ऐसे लोगों को शुरुआती जीवन में कुछ कठिनाइयां मिल सकती हैं लेकिन एक बार सफल होने के बाद इन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं होती। अपनी मुश्किलें कम करने के लिए भिखारियों को भोजन कराना इनके लिए लाभप्रद होता है।जिस भी जातक की कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य होता है, ऐसा व्यक्ति हमेशा ही अपने परिवार के अन्य सदस्यों से हटकर कार्य करता है। उन्हें सफलता मिलती है और वह ऐसी होती है कि उसकी हर कोई तारीफ करता है। भाव में सूर्य व्यक्ति को अपने जन्मस्थान से दूर ले जाता है। इस भाव में बैठे सूर्य को अनुकूल करने के लिए किसी नेत्रहीन व्यक्ति को 43 दिन तक भोज करवाएं और तांबे का सिक्का गले में धारण करवाएं।
पंचम भाव में सूर्य योग का उपाय:-
जन्मकुंडली के इस भाव का सूर्य होना व्यक्ति के युवाकाल में कोई विशेष बुरे परिणाम नहीं देता, लेकिन बाद के जीवन में उसकी संतान के लिए बाधाएं उत्पन्न करता है। इन्हें अक्सर पेट से जुड़ी परेशानियां होती हैं। सूर्य को नियमित अर्घ्य देना इस दोष को कम करता है।आपको लाल मुंह वाले बंदरों को गुड़-चना खिलाना चाहिए।
छठे भाव में सूर्य योग का उपाय:-
इस भाव में सूर्य व्यक्ति को अजातशत्रु बनाता है। रात को सिरहाने पानी रखकर सोएं। पिता के साथ मधुर संबंध बनेंगगें और उनकी आय में भी वृद्धि होगी। चांदी की वस्तु अपने पास रखें। लेकिन यही भाव उसके मातृ-पक्ष या मामा के लिए अच्छा नहीं होता। लोगों को हमेशा ही नदी का जल अपने घर में रखना चाहिए तथा रात में सोने से पूर्व अपने सिर के पास जल से भरा कोई पात्र रखना चाहिए।
सप्तम भाव में सूर्य योग का उपाय:-
इस भाव में बैठे सूर्य का शुभ प्रभाव पाने के लिए खाने में नमक का प्रयोग कम करें। काली या बिना सींग वाली गाय की सेवा करें और भोजन करने से पूर्व रोटी का एक टुकड़ा रसोई की आग में डालें।
अष्टम भाव में सूर्य योग का उपाय:-
आपको अपने घर में सफेद रंग का कपड़ा ना रखें। किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले मीठा खाकर पानी पीएं। बहती नदी में गुड प्रवाहित करें।
नवम भाव में सूर्य योग का उपाय:-
उपहार या दान में कभी भी चांदी की वस्तु ना लें। चांदी की वस्तुएं दान करें। क्रोध से बचें और वाणी में मधुरता लाएं।
दशम भाव में सूर्य योग का उपाय:-
इस भाव में सूर्य का शुभ प्रभाव पाने के लिए काले और नीले रंग के कपड़े ना पहनें। किसी बहती नदी में 43 दिन तक तांबे का सिक्का प्रवाहित करें। मांस-मदिरा के सेवन से बचें।
ग्यारहवे भाव में सूर्य योग का उपाय:-
आपको मांस और मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। रात को सोते समय अपने सिरहाने बादाम या मूली रखकर सोएं। दूसरे दिन इन चीज़ों को मंदिर में दान कर दें।
बारहवे भाव में सूर्य योग का उपाय:-
अपने घर में एक आंगन जरूर बनाएं। धर्म का पालन करें। दूसरों की गलतियों के क्षमा कर दें। सूर्य की शांति के लिए सूर्य यंत्र की स्थापना अपने घर या ऑफिस में करें।