भुत प्रेतो के अधिपति महाकाल भैरवनाथ जंजीरा कवच

भुत प्रेतो के अधिपति महाकाल भैरवनाथ जंजीरा कवच :-

गांव से लेके शमशान तक,खेत,नगर, डगर ,भुत प्रेत जादू-टोना , चुड़ैल डाकिन शाकीन,सब को बांध देगी यह  शक्तीशाली जंजीर ।

कोई भी चीज खाली नहीं रहेगी, आदेश और नमस्ते मेरे प्यारे दोस्तों भाई बहनों साधक साधीको , मैंने दिय तंत्र-मंत्र के जरिए बहुत सारे लोगों को फायदा हो रहा है बहुत सारे साधक मंत्र साधना सिद्ध कर रहे हैं। और एक तंत्र कि दुनिया में आगे चलने का प्रयास कर रहे हैं। और स्वागत है सभी नए दोस्तों का जो हमसे नए-नए जुड़े हैं। हमें जिंदगी में कुछ कर दिखाना है। तो दोस्तों मैं आज आपको एक महाकाल भैरव नाथ का साबर जंजीरा मंत्र दे रहा हूं जो कि मुझे पिछले साल मेरे एक दोस्त ने दिया था,अब यह मंत्र नेट पर उपलब्ध है या नहीं पहले प्रकाशित हुआ है यह महीने कह सकते हो सकता है मंत्र नेट पर है लेकिन मैंने यह मंत्र नेट पर से उठाया नहीं महाकाल का भक्त है मेरा एक दोस्त उसने मुझे दिया था और उसने मुझे कहा कि सरकार भाई मेरे हिसाब से आप यह साधना कर सकते हैं इस पर वो जंजीरों को सिद्ध कर सकते हैं और आगे आपने शिष्य को भी दे सकते हैं जो तुम्हारे साथ सादर जुड़े हैं वह भी इस साधना को इस जल को शुद्ध करके कुछ अपनी जीवन में तंत्र की दुनिया में उन्नति प्राप्त कर सके तो मैंने उसे कहा बहुत अच्छी बात है भाई इस प्रकार मुझे उसने ये भरो जी जरा दिया था जो मैं आज आपको दे रहा हूं। एक मेरा दोस्त है दिल्ली का उन्होंने मुझे साबर मंत्र जंजीरा दिया था और यह बहुत ही शक्तिशाली जंजीरा है महाकाल भैरव नाथ का जंजीरा अगर आपने सिद्ध किया तो भैरवनाथ का आपको दूसरे कोई भी मंत्र कोई भी साधना जो करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक ही मंत्र एक ही जंजीरा काफी है।आपके सारे काम आपके हर यह काम कर देनेमें यह जंजीरा सक्षम है। अच्छा होगा आपका कोई गुरु है,यदि आप अपने गुरु के आशीर्वाद से ग्रुप मुख्य इस मंत्र को जंजीरा को लेते हैं और इसकी साधना करते हैं तो आपको बहुत जल्दी और शीघ्र जिंजरा सिद्ध हो जाता है। मैंने 7 दिन में इस जंजीरों को सिद्ध किया था मेरे गुरु के मार्गदर्शन में।

तो चलो मैं आपको और जंजीरा मंतंर देता हूं मंत्र थोड़ा बड़ा है।

भुत प्रेतो के अधिपति महाकाल भैरवनाथ जंजीरा कवच

सर्व-कार्य-सिद्धि-प्रद शाबर भैरव मन्त्र

श्री काल-भैरव बटुक प्रयोग:-

 

ॐ अस्य श्री वटुक-भैरव-स्तोत्रस्य सप्त-ऋषिः ऋषयः, मातृका छन्दः, श्रीवटुक-भैरो देवता, ममेप्सित-सिद्धयर्थ जपे विनियोगः।

“ॐ काल-भैरौ, वटुक भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता-सर्व-सिद्धिर्भवेत् । शोक-दुःख-क्षय-करं निरञ्जनं, निराकारं नारायणं, भक्ति-पूर्ण त्वं महेशं । सर्व-काम-सिद्धिर्भवेत् । काल-भैरव, भूषण-वाहनं काल-हन्ता रुपं च, भैरव गुनी । महात्मनः योगिनां महा-देव-स्वरुपं । सर्व सिद्धयेत् । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ त्वं ज्ञानं, त्वं ध्यानं, त्वं तत्त्वं, त्वं वीजं, महात्मानं त्वं शक्तिः, शक्ति-धारणं त्वं महा-देव-स्वरुपं । सर्व-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं नागेश्वरं, नाग-हारं च त्वं, वन्दे परमेश्वरं । ब्रह्म-ज्ञानं, ब्रह्म-ध्यानं, ब्रह्म-योगं, ब्रह्म-तत्त्वं, ब्रह्म-बीजं महात्मनः । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

त्रिशूल-चक्र-गदा-पाणिं, शूल-पाणि पिनाक-धृक् ! ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

काल-भैरव ! त्वं विना गन्धं, विना धूपं, विना दीपं सर्व-शत्रु-विनाशनं । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

विभूति-भूति-नाशाय, दुष्ट-क्षय-कारकं, महा-भैरवे नमः । सर्व-दुष्ट-विनाशनं सेवकं सर्व-सिद्धिं कुरु । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं महा-ज्ञानी, महा-ध्यानी, महा-योगी, महा-बली, तपेश्वर ! देहि मे सिद्धिं सर्व । त्वं भैरव भीम-नादं च नादनम् । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ आं ह्रीं ह्रीं ह्रीं । अमुकं मारय मारय, उच्चाटय उच्चाटय, मोहय मोहय, वशं कुरु कुरु । सर्वार्थकस्य सिद्धि-रुपं त्वं महा-काल ! काल-भक्षणं महा-देव-स्वरुपं त्वं । सर्व-सिद्धयेत् ! ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं गोविन्द, गोकुलानन्द ! गोपालं, गोवर्द्धनं धारणं त्वं । वन्दे परमेश्वरं । नारायणं नमस्कृत्य, त्वं धाम-शिव-रुपं च । साधकं सर्व सिद्धयेत् । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं राम-लक्ष्मणं, त्वं श्रीपति-सुन्दरं, त्वं गरुड़-वाहनं, त्वं शत्रु-हन्ता च, त्वं यमस्य रुपम् । सर्व-कार्य-सिद्धिं कुरु । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं ब्रह्म-विष्णु-महेश्वरं, त्वं जगत्-कारणं, सृष्टि-स्थिति-संहार-कारकं, रक्त-बीजं, महा-सैन्यं, महा-विद्या, महा-भय-विनाशनम् । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं आहार मद्य, मांसं च, सर्व-दुष्ट-विनाशनं, साधकं सर्व-सिद्धि-प्रदा ।

ॐ आं ह्रीं ह्रीं ह्रीं अघोर-अघोर, महा-अघोर, सर्व-अघोर, भैरव-काल ! ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ आं ह्रीं ह्रीं ह्रीं । ॐ आं क्लीं क्लीं क्लीं । ॐ आं क्रीं क्रीं क्रीं । ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं, रुं रुं रुं, क्रूं क्रूं क्रूं । मोहन ! सर्व-सिद्धिं कुरु कुरु । ॐ आ ह्रीं ह्रीं ह्रीं । अमुकै उच्चाटय उच्चाटय, मारय-मारय । प्रूं प्रूं, प्रें प्रें, खं खं । दुष्टान् हन-हन । अमुकं फट् स्वाहा । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ बटुक-बटुक योगं च बटुकनाथ महेश्वरः । बटुकै वट-वृक्षै बटुकं प्रत्यक्ष सिद्धयेत् । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव, शमशान-भैरव, काल-रुप काल-भैरव ! मेरो वैरी तेरो आहार रे । काढ़ी करेजा चखन करो कट-कट । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ नमो हंकारी वीर ज्वाला-मुखी ! तूं दुष्टन बध करो । बिना अपराध जो मोहिं सतावे, तेकर करेजा छिंदि परै, मुख-वाट लोहू आवे । को जाने ? चन्द्र, सूर्य जाने की आदि-पुरुष जाने । काम-रुप कामाक्षा देवी । त्रिवाचा सत्य, फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं डाकिनी, शाकिनी, भूत-पिशाचश्च । सर्व-दुष्ट-निवारणं कुरु-कुरु, साधकानां रक्ष-रक्ष । देहि मे हृदये सर्व-सिद्धिम् । त्वं भैरव-भैरवीभ्यो, त्वं महा-भय-विनाशनं कुरु । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव महा-भय-विनाशनं देवता । सर्वसिद्धिर्भवेत् ।

ॐ आं ह्रीं । पच्छिम दिशा में सोने का मठ, सोने का किवाड़, सोने का ताला, सोने की कुञ्जी, सोने का घण्टा, सोने की सांकुली । पहिली साँकुली अठारह कुल नाग के बाँधों, दूसरी साँकुली अठारह कुल-जाति के बाँधों, तीसरी साँकुली बैरी-दुश्मन के बाँधों, चौथी साँकुली डाकिनी-शाकिनी के बाँधों, पाँचवीं साँकुली भूत-प्रेत के बाँधों । जरती अगिन बाँधों, जरता मसान बाँधों, जल बाँधों, थल बाँधों, बाँधों अम्मरताई । जहाँ भेजूँ, तहाँ जाई । जेहि बाँधि मँगावों, तेहिं का बाँधि लाओ । वाचा चूकै, उमा सूखै । श्रीबावन वीर ले जाय, सात समुन्दर तीर । त्रिवाचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ आं ह्रीं । उत्तर दिशा में रुपे का मठ, रुपे का किवार, रुपे का ताला, रुपे की कुञ्जी, रुपे का घण्टा, रुपे की सांकुली । पहिली साँकुली अठारह कुल नाग बाँधों, दूसरी साँकुली अठारह कुल-जाति को बाँधूँ, तीसरी साँकुली बैरी-दुश्मन को बाँधों, चौथी साँकुली डाकिनी-शाकिनी को बाँधों, पाँचवीं साँकुली भूत-प्रेत को बाँधों । जलत अगिन बाँधों, जलत मसान बाँधों, जल बाँधों, थल बाँधों, बाँधों अम्मरताई । जहाँ भेजूँ, तहाँ जाई । जेहि बाँधि मँगावों, तेहिं का बाँधि लाओ । वाचा चूकै, उमा सूखै । श्रीबावन वीर ले जाय, समुन्दर तीर । त्रिवाचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ आं ह्रीं । पूरब दिशा में तामे का मठ, तामे का किवार, तामे का ताला, तामे की कुञ्जी, तामे का घण्टा, तामे की साँकुली । पहिली साँकुली अठारह कुल नाग बाँधों, दूसरी साँकुली अठारह कुल-जाति को बाँधूँ, तीसरी साँकुली बैरी-दुश्मन को बाँधों, चौथी साँकुली डाकिनी-शाकिनी को बाँधों, पाँचवीं साँकुली भूत-प्रेत को बाँधों । जलत अगिन बाँधों, जलत मसान बाँधों, जल बाँधों, थल बाँधों, बाँधों अम्मरताई । जहाँ भेजूँ, तहाँ जाई । जेहि बाँधि मँगावों, तेहिं का बाँधि लाओ । वाचा चूकै, उमा सूखै । श्रीबावन वीर ले जाय, समुन्दर तीर । त्रिवाचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ आं ह्रीं । दक्षिण दिशा में अस्थि का मठ, अस्थि का किवार, अस्थि का ताला, अस्थि की कुञ्जी, अस्थि का घण्टा, अस्थि की साँकुली । पहिली साँकुली अठारह कुल नाग बाँधों, दूसरी साँकुली अठारह कुल-जाति को बाँधूँ, तीसरी साँकुली बैरी-दुश्मन को बाँधों, चौथी साँकुली डाकिनी-शाकिनी को बाँधों, पाँचवीं साँकुली भूत-प्रेत को बाँधों । जलत अगिन बाँधों, जलत मसान बाँधों, जल बाँधों, थल बाँधों, बाँधों अम्मरताई । जहाँ भेजूँ, तहाँ जाई । जेहि बाँधि मँगावों, तेहिं का बाँधि लाओ । वाचा चूकै, उमा सूखै । श्रीबावन वीर ले जाय, समुन्दर तीर । त्रिवाचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं आकाशं, त्वं पातालं, त्वं मृत्यु-लोकं । चतुर्भुजं, चतुर्मुखं, चतुर्बाहुं, शत्रु-हन्ता च त्वं भैरव ! भक्ति-पूर्ण कलेवरम् । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! तुम जहाँ जाहु, जहाँ दुश्मन बैठ होय, तो बैठे को मारो । चलत होय, तो चलते को मारो । सोवत होय, तो सोते को मारो । पूजा करत होय, तो पूजा में मारो । जहाँ होय, तहाँ मारो । व्याघ्र लै भैरव, दुष्ट को भक्षौ । सर्प लै भैरव ! दुष्ट को डँसो । खड्ग से मारो, भैरव ! दुष्ट को शिर गिरैवान से मारो, दुष्टन करेजा फटै । त्रिशूल से मारो, शत्रु छिदि परै, मुख वाट लोहू आवे । को जाने ? चन्द्र, सूरज जाने की आदि-पुरुष जाने । काम-रुप कामाक्षा देवी । त्रि-वाचा सत्य फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव त्वं । वाचा चूकै, उमा सुखै, दुश्मन मरै अपने घर में । दुहाई काल-भैरव की । जो मोर वचन झूठा होय, तो ब्रह्मा के कपाल टूटै शिवजी के तीनों नेत्र फूटैं । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं भूतस्य भूत-नाथश्च, भूतात्मा भूत-भावनः । त्वं भैरव, सर्व-सिद्धिं कुरु-कुरु । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं ज्ञानी, त्वं ध्यानी, त्वं योगी, त्वं जंगम-स्थावरं, त्वं सेवित सर्व-काम-सिद्धिर्भवेत् । ॐ काल-भैरौ, वटुक-भैरौ, भूत-भैरौ ! महा-भैरव, महा-भय-विनाशनं देवता । सर्व-सिद्धिर्भवेत् ।

ॐ काल-भैरव ! त्वं वन्दे परमेश्वरं, ब्रह्म-रुपं, प्रसन्नो भव । गुनि, महात्मनां महा-देव-स्वरुपं सर्व-सिद्धिर्भवेत।

 

विधि:-

इस जंजीर को सिद्ध करने के लिए आपको सबसे पहले शिव शंकर महादेव जी के मंदिर में जाकर श्री शिव शंकर महादेव जी की पूजा करनी होगी। और हाथ में एक लोटा लेकर शंकर करना होगा कि हे भोले शिव शंकर महादेव महेश महाकाल जंजीरों को सिद्ध करना चाहता हूं कृपया मुझे आशीर्वाद दे मेरा जिंजीरा जो है यह मुझसे सिद्ध हो जाए और मुझे मेरे साधना में संयोगिता दे, बस इतना कह कर जल जमीन पर छोड़ देना है।

उसके बाद आपको शमशान में जाकर भैरव बाबा की पूजा देनी है। और वह दो अगरबत्ती जलाकर प्रार्थना करनी है यह महाकाल भैरव मैं आपका भक्त हूं और मैं तुम्हारा शाबर जंजीरा सिद्ध करना चाहता हूं कृपया अपने भक्तों को सहयोग दें।

प्रतिदिन आपको इस जंजीरेकें नों पाठ करने है।

पूरे 7 दिन तक तो यह जंजीरा जो है वह सिद्ध हो जाएगा।

प्रयोग:-

रक्षा के लिए अगर आप श्मशान में है क्या किसी भी डरावनी जगह पर है किस चीज का जंजीरा उसको आप याद कर लीजिए आपकी रक्षा हो जाएगी।

काली उड़द के ऊपर 7 बार पढ़कर उड़द श्मशान में फेक दोगे तो वहां जो भी भूत-प्रेत होगे भाग जाएंगे।

भूत प्रेत जादू टोना किया कराया ग्रसित व्यक्ति को 7 बार पानी अभिमंत्रित करके पिलाने से उसको पर जो भी भूत प्रेत चुड़ैल क्या किया करा होगा तुरंत असर दूर हो जाएगा।