धन एवं वैभव की देवी महाविद्या माँ कमला

दसवीं महाविद्या कमला हैं धन-वैभव की देवी। दस महाविद्या में शामिल सभी देवियां धन-वैभव की देवी हैं। वह साधक को सब कुछ देने में समर्थ हैं। फिर भी साधक की सुविधा, साधना क्रम और आध्यात्मिक लक्ष्य के अनुरूप इन्हें क्रम दिया गया है। दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर स्थित हैं माता कमला। सिद्धविद्यात्रयी में इनको तीसरा स्थान प्राप्त है। इनकी उपासना दक्षिण और वाम दोनों मार्ग से की जाती है।

इनके अधिष्ठाता का नाम सदाशिव-विष्णु है। यह मुख्य रूप से धन-वैभव की देवी मानी जाती हैं। इसके साथ ही ऐश्वर्य और श्री प्रदान करने वाली हैं। श्रद्धा और नियम पूर्वक दरिद्रता, संकट, गृहकलह और अशांति को दूर करती है कमलारानी। इनकी सेवा और भक्ति से व्यक्ति सुख और समृद्धि पूर्ण रहकर शांतिमय जीवन बिताता है।

श्वेत वर्ण के चार हाथी सूंड में सुवर्ण कलश लेकर सुवर्ण के समान कांति लिए हुए मां को स्नान करा रहे हैं। कमल पर आसीन कमल पुष्प धारण किए हुए मां सुशोभित होती हैं। समृद्धि, धन, नारी, पुत्रादि के लिए इनकी साधना की जाती है। इस महाविद्या की साधना नदी तालाब या समुद्र में गिरने वाले जल में आकंठ डूब कर की जाती है। इसकी पूजा करने से व्यक्ति साक्षात कुबेर के समान धनी और विद्यावान होता है। व्यक्ति का यश और व्यापार या प्रभुत्व संसार भर में प्रचारित हो जाता है।

कमला माता का मंत्र: –

यौं नौं मौं नम: ऐं कवचाय हुम। श्रियै नम: नम: नैत्रत्रयाय वौषट्। श्रीं नम: अस्त्राय फट्।

 

विशेष:-सात रात्रियों में नित्य 12 सौ जाप तथा उसके दसवें भाग के हवन से अभीष्ट की सिद्धि होती है।

जागृत मंत्र:-

‘हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:’

लक्ष्मी मंत्र:-

यौं नौं नम: ऐं श्रियै श्रीं नम: (मेरुतंत्र से)

ध्यान मंत्र:-

कांत्या कांचनसन्निभा हिमगिरि प्रख्यैश्र्चतुर्भिर्गुजै:। हस्तोत्क्षिप्त हिरण्यामृत घटैरासिच्यमानां श्रियम्। विभ्राणां वरमब्जयुतमभयं हस्तै: किरोटोज्ज्वलाम्। क्षौमाबद्ध नितंबविंबललितां वंदेरविंद स्थिताम्।]

कमलगट्टे की माला से रोजाना 12 माला जाप और हर अमावस पूर्णिमा पर दसशांश हवन किया जाए तो कैसे भी आर्थिक संकट हो मार्ग अवश्य मिलेगा।  श्रीमद्भागवत के आठवें स्कन्ध के आठवें अध्याय में कमला के उद्भव की विस्तृत कथा आती है। देवताओं तथा असुरों के द्वारा अमृत प्राप्ति के उद्देश्य से किये गए सनुद्र-मंथन के फलस्वरुप इनका प्रादुर्भाव हुआ था।

इन्होंने भगवान विष्णु को पति रूप में वरण किया था। महाविद्याओं में ये दसवें स्थान पर आती हैं। भगवती कमला वैष्णवी शक्ति हैं तथा भगवान विष्णु की लीला सहचरी हैं, अत: इनकी उपासना जगदाधार-शक्ति की उपासना है। ये एक रूप में समस्त भौतिक या प्राकृतिक सम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं और दूसरे रूप में सच्चिदानन्दमयी लक्ष्मी हैं, जो भगवान विष्णु से अभिन्न हैं।

देवता, मानव एवं दानव – सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं इसलिए आगम और निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, सिद्ध और गन्धर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं। जहाँ धन संपदा की बात आती हैं, संसारी बिना सोचे समझे दौड़ पड़ते हैं। परंतु जैसे पैसे कमाना आसान नहीं है वैसे ही माता कमला की साधना, और विद्याओं को आप चुन सकते हैं परंतु ये साधना गुरु तय करते हैं, फिर संसारी हो या सन्यासी इनकी साधना से आंत्रिक और भौतिक सुख सुविधाओं से भर जाता हैं, जो कृष्ण भक्त हो और जिन्हे कम उम्र में ही सत्संग प्राप्त हो उन्हे जल्द ही माता प्रसन्न हो जाती हैं ।