महाशिवरात्रि पर करें ये महाउपाय

महाशिवरात्रि – महाउपाय
एक दीपदान करे, महाकल्याण!!यह उपाय तो सभी के लिए है पर वह लोग भी विशेष रूप से कर सकते हैं जो शिवरात्रि को व्रत, पूजन आदि नही कर सकते।
शिवरात्रि को शिवलिंग के समक्ष दीपदान का बहुत महत्त्व है चाहे वह गाय के घी का हो या सरसों के तेल का, परंतु दोनों का उद्देश्य अलग अलग है।
दीपदान के साथ मे किसी एक कामना के अनुसार एक शिव मंत्र जपें।
मंत्र :-
“ह्रीं नमः शिवाय”——————- राज्य प्राप्ति।
“क्लीं नमः शिवाय”———— शत्रु शांति, वायवी बाधा शांति, ग्रह बाधा शांति।
“श्रीं नमः शिवाय”——————- लक्ष्मी प्राप्ति।
“ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं”————- शिव प्राप्ति।
समय शिवरात्रि को 11.30 p.m. से 12.30 a.m.
स्थान – मंदिर या घर ।
विधि :-
सर्वप्रथम शिवजी का आज्ञाचक्र में ध्यान करें। शिवरात्रि को शिव मंदिर में शिवजी के समक्ष लोहे व स्टील को छोड़कर किसी भी धातु / आटा / मिट्टी का दीपक जलाएं सात्विक कामनाओं के लिए घी का और शत्रु शांति व ग्रहकृत अरिष्ट शांति के लिए तेल का दीपक जलावें। फिर इसको अपने दाएं हाथ मे लेकर उपरोक्त मंत्र का, अपनी कामना अनुसार 30 मिनट जप करें। फिर यदि दीपक घी का है तो इसको शिवजी की दाई तरफ रख दे (आपकी बायीं तरफ शिवजी का दायां होगा) इसी तरह तेल का दीपक शिवजी के बायीं तरफ रख दें ( आपकी दायीं तरफ शिवजी की बायीं होगी)। अब शिवजी से अपनी कामना व्यक्त कर दें औऱ क्षमा प्रार्थना करें। ।

ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है । परन्तु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों मंत्र गोदुग्ध से विशेष रूप से अभिषेक किया जाता है ।
विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है।
तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।
इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है।
किन्तु यदि पारद , स्फटिक , नर्मदेश्वर, अथवा पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक किया जाय तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है । रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है ।
1 जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
2 असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
3 भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
4 लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
5 धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
6 तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
7 पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
8 रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
9 ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
10 सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
11 प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जातीहै।
12 शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
13 सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
14 शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
15पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
16 गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
17 पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।