हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्व तथा घर में सुख समृद्धि के लिये पूर्णिमा के दिन करें उपाय

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्व तथा घर में सुख समृद्धि के लिये पूर्णिमा के दिन करें उपाय

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो हिन्दू कैलेंडर की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। हिन्दू संस्कृति में व्याप्त धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़ा हुआ यह पर्व आत्मा की शुद्धता, सामाजिक एकता और प्रेम की महत्वपूर्ण भावना को व्यक्त करता है। यह एक प्रमुख हिन्दू पर्व है जो सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय के प्रति लोगों के जागरूक होने का अवसर प्रदान करता है। निम्नलिखित तरीकों से पूर्णिमा का सामाजिक महत्व होता है।पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्णता का प्रतीक होता है, और इसे आत्मा के साथ जुड़ने का मौका माना जाता है। ध्यान और मनन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा के साथ मिलकर शांति और साक्षात्कार प्राप्त कर सकता है।

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्व

पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व:-

पूर्णिमा, हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और इसका आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक होता है। यह एक दिन होता है जब चंद्रमा पूर्ण रूप से प्रकट होता है और इसलिए इसे चंद्र पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए, इसका महत्व निम्नलिखित रूपों में होता है:

  1. आत्मा के साथ जुड़ना: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्णता का प्रतीक होता है, और इसे आत्मा के साथ जुड़ने का मौका माना जाता है। ध्यान और मनन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा के साथ मिलकर शांति और साक्षात्कार प्राप्त कर सकता है।
  2. आध्यात्मिक अद्यतन: पूर्णिमा के दिन आध्यात्मिक अद्यतन और अध्ययन का महत्व बढ़ जाता है। ध्यान और पूजा के माध्यम से व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक जीवन को सुधार सकता है और दिव्य ज्ञान को प्राप्त कर सकता है।
  3. ध्यान और पूजा का महत्व: पूर्णिमा के दिन ध्यान और पूजा का विशेष महत्व होता है। यह दिन चंद्रमा की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि चंद्रमा आत्मा के प्रति सामर्पण का प्रतीक होता है।
  4. आध्यात्मिक नृत्य और संगीत: पूर्णिमा के दिन आध्यात्मिक नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है। यह आध्यात्मिक सांस्कृतिक प्रदर्शनों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और लोग इसका आनंद लेते हैं।
  5. सामाजिक समरसता: पूर्णिमा के दिन लोग अपने समाज में सामाजिक समरसता का महत्व समझते हैं और विभिन्न आयोजनों में भाग लेते हैं। इस दिन दरिद्र और जरूरतमंद लोगों की मदद करने का प्रयास किया जाता है, जिससे सामाजिक न्याय और समरसता को प्रोत्साहित किया जाता है।

इस रूप में, पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक होता है और यह धार्मिकता और सामाजिक न्याय की महत्वपूर्ण भावनाओं को प्रकट करता है। यह दिन आत्मा के साथ जुड़ने का मौका प्रदान करता है और धार्मिक आध्यात्मिक अद्यतन का महत्व भी दर्शाता है।

पूर्णिमा का सामाजिक महत्व:-

पूर्णिमा का सामाजिक महत्व हिन्दू समाज में गहरी सामाजिक सद्भावना, समरसता, और दान-दया की भावना को प्रकट करता है। यह एक प्रमुख हिन्दू पर्व है जो सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय के प्रति लोगों के जागरूक होने का अवसर प्रदान करता है। निम्नलिखित तरीकों से पूर्णिमा का सामाजिक महत्व होता है:

  1. सामाजिक एकता का प्रमोट करना: पूर्णिमा के दिन लोग अपने घरों को सजाने और सजाने का प्रयास करते हैं, और इससे सामाजिक एकता की भावना को प्रोत्साहित करते हैं। सभी लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं और एक समान भावना के साथ इस दिन का मनाते हैं।
  2. दरिद्र और जरूरतमंद लोगों की मदद: पूर्णिमा के दिन लोग दरिद्र और जरूरतमंद लोगों की मदद करने का प्रयास करते हैं। यह एक धार्मिक और मानवीय कर्तव्य होता है और समाज में सामाजिक न्याय को साबित करता है।
  3. भिक्षुकों के प्रति स्नेह और सहानुभूति: पूर्णिमा के दिन भिक्षुकों के प्रति विशेष स्नेह और सहानुभूति की भावना होती है। लोग उन्हें आशीर्वाद देने का मौका मानते हैं और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं।
  4. सामाजिक न्याय की भावना: पूर्णिमा के दिन सामाजिक न्याय की महत्वपूर्ण भावना होती है। लोग इस दिन अपने समाज में सामाजिक समरसता और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रकट करते हैं और दरिद्र और गरीबों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते हैं।

इस रूप में, पूर्णिमा का सामाजिक महत्व हिन्दू समाज में सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता, और मानविकता की महत्वपूर्ण भावनाओं को प्रमोट करता है। यह एक समाज में सद्भावना और सहयोग की महत्वपूर्ण उदाहरण है और सभी को एक साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।

घर में सुख समृद्धि के लिये पूर्णिमा के दिन करें उपाय ।

पूर्णिमा या पूनम के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकर में होते है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा का विशेष प्रभाव होता हैं। साथ ही यह दिन माता लक्ष्मी को भी विशेष प्रिय होता है। पूर्णिमा के दिन किये गए उपायों का विशेष और शीघ्र प्रभाव होता है। शास्त्रों में पूर्णिमा को करने योगय बहुत से उपाय और टोटके बताये गए हैं। आइये जानते है कुछ ऐसे ही उपाय:-

शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो तो इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के नीचे मां लक्ष्मी का पूजन करें और लक्ष्मी को घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें। इससे लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी।इस रूप में, पूर्णिमा का सामाजिक महत्व हिन्दू समाज में सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता, और मानविकता की महत्वपूर्ण भावनाओं को प्रमोट करता है। यह एक समाज में सद्भावना और सहयोग की महत्वपूर्ण उदाहरण है और सभी को एक साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।

पूर्णिमा की रात में घर में महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा।

  • प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर मिश्री डालकर बनाकर माँ लक्ष्मी जी का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में वितरित करने से धन के आगमन के मार्ग खुल जाते है।
  • जो भी इंसान धन संबंधी परेशानियों से जूझ रहा है, उसे पूनम के दिन चंद्र उदय होने पर चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देते समय ‘ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रों स: चंद्रमसे नम:’ या फिर ‘ओम ऐं क्लीं सोमाय नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक परेशानियां धीरे-धीरे कम होने लगती हैं।
  • प्रत्येक पूर्णिमा के दिन मां श्री लक्ष्मी के चित्र या फोटो पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें उसके बाद अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें लें। इस उपाय से घर में धन की कमी नही रहती है। पर एक बात का ध्यान रखें की प्रत्येक पूनम के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर माता के सम्मुख रखकर उन पर पुन: हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखे ले।
  • पूर्णिमा के दिन किसी हनुमान मंदिर में हनुमानजी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • यदि आप अपने दाम्पत्य जीवन को प्रेम पूर्वक लम्बे समय के लिए रखना चाहते है तो कभी भी भूलवश पूनमऔर अमावस्या के दिन शारीरिक सम्बन्ध या सम्भोग नही करना चाहिए।
  • प्रत्येक पूनमकी रात में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक ( लगातार देखना ) विधि करने से जातक की नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
  • प्रत्येक पूनम के दिन सुबह के समय घर के मुख्य दरवाज़े पर आम के ताजे पत्तों से बना तोरण बाँधने से घर के वातावरण में शुभता आती है।
  • यदि कोई भी जातक मानसिक तनाव या मानसिक परेशानी में रहता है तो प्रत्येक पूनम के दिन अपने हाथ से खीर बनाकर गरीब बच्चे या लोंगो को खिलने से जातक की मानसिक तनाव या मानसिक परेशानी दूर हो जाती है।
  • पूनम के दिन शिवलिंग पर शहद, कच्चादूध, बेलपत्र और फल चढाने से भगवान शिव की प्रसन्न होते हैं। इसके साथ घिसे हुए सफेद चंदन में केसर मिलाकर भगवान शंकर को अर्पित करने से घर से कलह और अशांति दूर होती है और सुख-संपत्ति का घर में आगमन होता है।
  • पूनम के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन जुए, शराब आदि नशे और क्रोध एवं हिंसा से भी दूर रहना चाहिए।इस दिन बड़े बुजुर्ग अथवा किसी भी स्त्री से भूलकर भी अपशब्द ना बोलें।
  • आयुर्वेद के अनुसार पूनम की रात में चन्द्रमा की चाँदनी सब मनुष्यों के लिए अत्यंत लाभदायक रहती है। यदि पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा के प्रकाश की किरणे गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो उस महिला का गर्भ पुष्ट हो जाता है । इसलिए गर्भवती स्त्रियों को तो विशेष रूप से कुछ समय के लिए पूनम की रात चन्द्रमा की चाँदनी में रहना चाहिए।
  • हर पूर्णिमा के दिन सुबह के समय हल्दी में थोडा पानी डालकर घर के मुख्य दरवाज़े पर ॐ और स्वस्तिक बनाना चाहिए ।
  • पूर्णिमा के दिन किसी शिव मंदिर में रात को शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और ॐ रुद्राय नमः मंत्र का जप करें।

इस रूप में, पूनम का सामाजिक महत्व हिन्दू समाज में सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता, और मानविकता की महत्वपूर्ण भावनाओं को प्रमोट करता है। यह एक समाज में सद्भावना और सहयोग की महत्वपूर्ण उदाहरण है और सभी को एक साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।